दाग बङे गहरे हैं सच पर निरे पहरे हैं । झूठ के दिख | हिंदी कविता

"दाग बङे गहरे हैं सच पर निरे पहरे हैं । झूठ के दिख रहे जाने कितने चेहरे हैं । सत्ता के गलियारे में चाटूकारों के फेरे हैं । जमीर गिरवी रखकर बने अंधे-गूंगे-बहरे हैं। गंदा है पर धंधा है राजनीति का फंडा है। मजबूर जनता पर ही राजतंत्र का शिकंजा है। धर्म की सीधी-राह पर चलता सिर्फ नेक बंदा है। पाखंड की दुनिया में तो धर्म भी बना आज धंधा है। पीङा इतनी बढ गई नींद आँख से उङ गई सच-झूठ की जंग में  गरिमा देश की लुट गई । दाग सचमुच गहरे हैं अशोभनीय चेहरे हैं रक्त-रंजित माँ भारती खंजर अबतक ना ठहरे हैं। ©Parveen Malik"

 दाग बङे गहरे हैं 
सच पर निरे पहरे हैं ।
झूठ के दिख रहे 
जाने कितने चेहरे हैं । 

सत्ता के गलियारे में 
चाटूकारों के फेरे हैं ।
जमीर गिरवी रखकर 
बने अंधे-गूंगे-बहरे हैं। 

गंदा है पर धंधा है 
राजनीति का फंडा है।
मजबूर जनता पर ही
राजतंत्र का शिकंजा है। 

धर्म की सीधी-राह पर 
चलता सिर्फ नेक बंदा है। 
पाखंड की दुनिया में तो
धर्म भी बना आज धंधा है। 

पीङा इतनी बढ गई 
नींद आँख से उङ गई 
सच-झूठ की जंग में  
गरिमा देश की लुट गई । 

दाग सचमुच गहरे हैं 
अशोभनीय चेहरे हैं 
रक्त-रंजित माँ भारती
खंजर अबतक ना ठहरे हैं।

©Parveen Malik

दाग बङे गहरे हैं सच पर निरे पहरे हैं । झूठ के दिख रहे जाने कितने चेहरे हैं । सत्ता के गलियारे में चाटूकारों के फेरे हैं । जमीर गिरवी रखकर बने अंधे-गूंगे-बहरे हैं। गंदा है पर धंधा है राजनीति का फंडा है। मजबूर जनता पर ही राजतंत्र का शिकंजा है। धर्म की सीधी-राह पर चलता सिर्फ नेक बंदा है। पाखंड की दुनिया में तो धर्म भी बना आज धंधा है। पीङा इतनी बढ गई नींद आँख से उङ गई सच-झूठ की जंग में  गरिमा देश की लुट गई । दाग सचमुच गहरे हैं अशोभनीय चेहरे हैं रक्त-रंजित माँ भारती खंजर अबतक ना ठहरे हैं। ©Parveen Malik

#Shades

People who shared love close

More like this

Trending Topic