White जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है, कोई | हिंदी शायरी

"White जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है, कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है, मुझे मजबूर पा करके भी खौफ उसका नहीं जाता, कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है.. ©Varun Vashisth"

 White जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है,
कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है,
मुझे मजबूर पा करके भी खौफ उसका नहीं जाता,
कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है..

©Varun Vashisth

White जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है, कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है, मुझे मजबूर पा करके भी खौफ उसका नहीं जाता, कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है.. ©Varun Vashisth

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