Village Life तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा
मेरा लड़खड़ाना मेरा संभालना नहीं देखा
कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां
तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा
बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा
किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा
मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो
यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा
©ML Suryavanshi
#जिंदगी