ML Suryavanshi

ML Suryavanshi Lives in Julwaniya, Madhya Pradesh, India

Wildlife Photographer,Poet

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White मैं गर याद बन जाऊं तो फिर कहानी में मिलूंगा सर्द हवाओं में मिलूंगा बारिशों के पानी में मिलूंगा अब तो कश्मकश ऐ जिंदगी में यूं शाम हो जाती हैं ढूढोंगे मुझे अब फिर कहां किसी नादानी में मिलूंगा तुम्हारी बस्ती में ठहरना अब मुनासिब नहीं रहा मैं जब भी मिलूंगा अब सफ़र ऐ रवानी में मिलूंगा हमारे जाने के बाद भी आबाद रहेगी ये दुनिया अब मैं तुम्हें कहां किसी निशानी में मिलूंगा ©ML Suryavanshi

#विचार  White मैं गर याद बन जाऊं तो फिर कहानी में मिलूंगा
सर्द हवाओं में मिलूंगा बारिशों के पानी में मिलूंगा


अब तो कश्मकश ऐ जिंदगी में यूं शाम हो जाती हैं
ढूढोंगे मुझे अब फिर कहां किसी नादानी में मिलूंगा


तुम्हारी बस्ती में ठहरना अब मुनासिब नहीं रहा
मैं जब भी मिलूंगा अब सफ़र ऐ रवानी में मिलूंगा


हमारे जाने के बाद भी आबाद रहेगी ये दुनिया
अब मैं तुम्हें कहां किसी निशानी में मिलूंगा

©ML Suryavanshi

ये ज़िंदगी

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White मैं मां के लिए क्या लिखूं मां ने ही सबकुछ लिखा हैं ©ML Suryavanshi

#कोट्स #mothers_day  White मैं मां के लिए क्या लिखूं

मां ने ही सबकुछ लिखा हैं

©ML Suryavanshi

#mothers_day

11 Love

White ज़िंदगी के रास्ते भी बड़े अजीब होते हैं समझ में तब आते हैं जब लौटने का वक्त हो जाता हैं... ©ML Suryavanshi

#लेशन्स #विचार #लाइफ  White ज़िंदगी के रास्ते भी बड़े अजीब होते हैं

समझ में तब आते हैं 

जब लौटने का वक्त हो जाता हैं...

©ML Suryavanshi

White क्या जमाना था वो मई जून की गर्मी खाली पड़े खेत खलिहान पहाड़ों से गुजरती गर्म हवाएं वो भरी दोपहरी में भी खेलना घूमना और भटकना और वो मम्मी पापा की डांट अब भी लगभग सब कुछ वैसा ही हैं। बस वो लोग कहीं खो गए जिनके साथ हम वक्त बिताया करते हैं। Missing You Forever 2000 - 2014..❤️🚶 ©ML Suryavanshi

#विचार #लाइफ  White क्या जमाना था वो

मई जून की गर्मी 

खाली पड़े खेत खलिहान

पहाड़ों से गुजरती गर्म हवाएं

वो भरी दोपहरी में भी
 
खेलना घूमना और भटकना

और वो मम्मी पापा की डांट

अब भी लगभग सब कुछ वैसा ही हैं।

बस वो लोग कहीं खो गए

जिनके साथ हम वक्त बिताया करते हैं।

Missing You Forever 2000 - 2014..❤️🚶

©ML Suryavanshi

तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा मेरा लड़खड़ाना मेरा संभलना नहीं देखा कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा ©ML Suryavanshi

#मेरी_जिंदगी #ज़िन्दगी  तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा

मेरा लड़खड़ाना मेरा संभलना नहीं देखा

कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां

तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा

बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा

किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा

मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो 

यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा

©ML Suryavanshi

Village Life तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा मेरा लड़खड़ाना मेरा संभालना नहीं देखा कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा ©ML Suryavanshi

#ज़िन्दगी #जिंदगी  Village Life तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा
मेरा लड़खड़ाना मेरा संभालना नहीं देखा
कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां
तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा

बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा
किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा
मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो 
यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा

©ML Suryavanshi
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