White बहुत कुछ जानेवाला है अहं से वहम तक,
अहम है,रह जो जाएगा अहमियत देगा भी इन्सानियत को?
जुबां पे ताले मढ़ डाले,
जहां दावा है, दरवाजे पर न ताले लगते,
कोई खुशफहमी के फरेब,
गलतफहमी का शिकार कोई जीता बस गुरबत को।
निगाहों पे क्या चश्मा है,
हरा ही हरा नजर आए, उन्हें मालूम नहीं,सच है,
सावन का अंधा कुछ बयान,
चला आया है जुबान पुश्तों से,ढो न कहावत को।
©BANDHETIYA OFFICIAL
#रस्म कैसी चला दी!😭😭