यहां से भाग जाना चाहता हूँ, कोई अच्छा बहाना चाहता

"यहां से भाग जाना चाहता हूँ, कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ। बड़ी चिपकू हैं ये दुनिया की रस्में, ज़रा पीछा छुड़ाना चाहता हूँ। वो बाग़ीपन तुम्हारे दिल में भी है, मैं जिसको आज़माना चाहता हूँ। लकीरें भी, क़दम भी घिस गए हैं, नया रस्ता बनाना चाहता हूँ। पहाड़ों की तरह पथरा गया हूँ, मैं बादल बनके गाना चाहता हूँ। समय की पटरियों पर रेल-जीवन, बस एक जंज़ीर पाना चाहता हूँ। सभी फ़ितरत यहां आतिश-फ़िशां हैं, मैं जल्दी जाग जाना चाहता हूँ। इन आधी रात के ख्वाबों को 'रूपक' सुबह ख़ुद से छुपाना चाहता हूँ। यहां से भाग जाना चाहता हूँ, कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ। ~Rupesh Pandey 'Rupak' facebook:@writerrupak email:writerrupak@gmail.com ©Rupesh P"

 यहां से भाग जाना चाहता हूँ,
कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ।

बड़ी चिपकू हैं ये दुनिया की रस्में,
ज़रा पीछा छुड़ाना चाहता हूँ।

वो बाग़ीपन तुम्हारे दिल में भी है,
मैं जिसको आज़माना चाहता हूँ।
 
लकीरें भी, क़दम भी घिस गए हैं,
नया रस्ता बनाना चाहता हूँ।

पहाड़ों की तरह पथरा गया हूँ,
मैं बादल बनके गाना चाहता हूँ।

समय की पटरियों पर रेल-जीवन,
बस एक जंज़ीर पाना चाहता हूँ।

सभी फ़ितरत यहां आतिश-फ़िशां हैं,
मैं जल्दी जाग जाना चाहता हूँ।

इन आधी रात के ख्वाबों को 'रूपक'
सुबह ख़ुद से छुपाना चाहता हूँ।

यहां से भाग जाना चाहता हूँ,
कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ।

~Rupesh Pandey 'Rupak'
facebook:@writerrupak
email:writerrupak@gmail.com

©Rupesh P

यहां से भाग जाना चाहता हूँ, कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ। बड़ी चिपकू हैं ये दुनिया की रस्में, ज़रा पीछा छुड़ाना चाहता हूँ। वो बाग़ीपन तुम्हारे दिल में भी है, मैं जिसको आज़माना चाहता हूँ। लकीरें भी, क़दम भी घिस गए हैं, नया रस्ता बनाना चाहता हूँ। पहाड़ों की तरह पथरा गया हूँ, मैं बादल बनके गाना चाहता हूँ। समय की पटरियों पर रेल-जीवन, बस एक जंज़ीर पाना चाहता हूँ। सभी फ़ितरत यहां आतिश-फ़िशां हैं, मैं जल्दी जाग जाना चाहता हूँ। इन आधी रात के ख्वाबों को 'रूपक' सुबह ख़ुद से छुपाना चाहता हूँ। यहां से भाग जाना चाहता हूँ, कोई अच्छा बहाना चाहता हूँ। ~Rupesh Pandey 'Rupak' facebook:@writerrupak email:writerrupak@gmail.com ©Rupesh P

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