राही भी चल चल के रुकने लगे है। इतना हिज्र में तड़पे आसूँ भी सूखने लगे है। मंजिल भी चंद कदम दूर मगर पैर दुखने लगे है। कल तक जिनकी महफिलों के सर के ताज थे उन आंखों में चुबने लगे है। ©Dr Ravi Lamba #hindi_poetry #hindi_quotes Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto