Dr Ravi Lamba

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कलम का सिपाही 2) government doctor (hcms- 1) love to write

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अक्सर याद आति है प्रेमी की दिल टूटने के बाद बड़ी याद आति है खिलोने की टूटने के बाद क्या अहमियत होती है बीवी और मां की ये समझ आई मुझे टांग टूटने के बाद ©Dr Ravi Lamba

#Free  अक्सर याद आति है प्रेमी की दिल टूटने के बाद
बड़ी याद आति है खिलोने की टूटने के बाद
क्या अहमियत होती है बीवी और मां की
ये समझ आई मुझे टांग टूटने के बाद

©Dr Ravi Lamba

#Free

11 Love

कुछ सहमा सहमा बदला सा तेरी आंगन की हवाओं का रुख है। यू ना झलका जाम अदाओं का ये दिल बड़ा नाजुक है। जब जुल्फें तेरी टकराती है हवाओं से मानो सीने पर वार करता कोई चाबुक है। ©Dr Ravi Lamba

 कुछ सहमा सहमा बदला सा तेरी आंगन की हवाओं का रुख है।
यू ना झलका जाम अदाओं का ये दिल बड़ा नाजुक है।
जब जुल्फें तेरी टकराती है हवाओं से 
मानो सीने पर वार करता कोई चाबुक है।

©Dr Ravi Lamba

कुछ सहमा सहमा बदला सा तेरी आंगन की हवाओं का रुख है। यू ना झलका जाम अदाओं का ये दिल बड़ा नाजुक है। जब जुल्फें तेरी टकराती है हवाओं से मानो सीने पर वार करता कोई चाबुक है। ©Dr Ravi Lamba

16 Love

राही भी चल चल के रुकने लगे है। इतना हिज्र में तड़पे आसूँ भी सूखने लगे है। मंजिल भी चंद कदम दूर मगर पैर दुखने लगे है। कल तक जिनकी महफिलों के सर के ताज थे उन आंखों में चुबने लगे है। ©Dr Ravi Lamba

#hindi_quotes #hindi_poetry  राही भी चल चल के रुकने लगे है।
इतना हिज्र में तड़पे आसूँ भी सूखने लगे है।
मंजिल भी चंद कदम दूर मगर पैर दुखने लगे है।
कल तक जिनकी महफिलों के सर के ताज थे
उन आंखों में चुबने लगे है।

©Dr Ravi Lamba

सियार फिर बैठक जमाने वाले है। कौरव नया चक्रव्यू रचाने वाले है। कल देखी एक गरीब कि थाली में रोटी फिर याद आया सावधान चुनाव आने वाले है। ©Dr Ravi Lamba

#Ja  सियार फिर बैठक जमाने वाले है।
कौरव नया चक्रव्यू रचाने वाले है।
कल देखी एक गरीब कि थाली में रोटी
फिर याद आया सावधान
चुनाव आने वाले है।

©Dr Ravi Lamba

#Ja

16 Love

एक बार अपने ही शरीर मे घुट के देखो क्या होता मर के जीना समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो दिन भर का वो संघर्ष बस ट्रैन से उतरते वक़्त गालियां सड़को से गुजरते वक़्त समाज की वो खोखली रिवाज़ें वो ज़ुबान हमारी बन्द रखती है भीड़ में वो छूने वाले हाथ जिसकीे गन्द हमारे दिलों दिमाग मे बस्ती है खुद के सपनो को अपने हाथों से मार के देखो क्या होता है घुट के जीना समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो वो सारी रिवाज जो सपने के सामने अड़ी रहती है बाजार हो या कॉलज कुछ निगाहें हमारी ओर ही गड़ी रहती है हर महीने पानी की तरह खून का भाव और पेट का दर्द सहन करके देखो क्या होता है घुट के जीना समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो रवि लाम्बा ©Dr Ravi Lamba

#hindi_poetry #Glazing #Shayar  एक बार अपने ही शरीर मे घुट के देखो
क्या होता मर के जीना  समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो
दिन भर का वो संघर्ष बस ट्रैन से उतरते वक़्त
गालियां सड़को से गुजरते वक़्त
समाज की वो खोखली रिवाज़ें वो ज़ुबान हमारी बन्द रखती है
भीड़ में वो छूने वाले हाथ जिसकीे गन्द हमारे दिलों  दिमाग मे बस्ती है
खुद के सपनो को अपने हाथों से मार के देखो
क्या होता है घुट के जीना समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो 
वो सारी रिवाज जो सपने के सामने अड़ी रहती है
बाजार हो या कॉलज कुछ निगाहें हमारी  ओर ही गड़ी रहती है
 हर महीने पानी की तरह खून का भाव और पेट का दर्द सहन करके देखो
क्या होता है घुट के जीना समझ जाओगे एक बार औरत की तरह जीके देखो

रवि लाम्बा

©Dr Ravi Lamba

अलविदा महज एक शब्द है मगर कहना आसान नही होता। जिंदा तो सभी है मगर दिलों में रहना आसान नही होता। सब लेकर निकलते है इरादा समुंदर के सीने को चीरने का मगर लहरों के हौसले के सामने बहना आसान नही होता। जिनको कहते है जिस्म का मैल पेट के खातिर बाजार में बिकना आसान नही होता। ©Dr Ravi Lamba

#Glazing  अलविदा महज एक शब्द है मगर कहना आसान नही होता।
जिंदा तो सभी है मगर दिलों में रहना आसान नही होता।
सब लेकर निकलते है इरादा समुंदर के सीने को चीरने का
मगर लहरों के हौसले के सामने बहना आसान नही होता।
जिनको कहते है जिस्म का मैल
पेट के खातिर बाजार में बिकना आसान नही होता।

©Dr Ravi Lamba

#Glazing

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