ग़ज़ल:- मैं उम्मीदों का जलता इक दिया हूं, उजाला क | हिंदी शायरी Video

"ग़ज़ल:- मैं उम्मीदों का जलता इक दिया हूं, उजाला करने को हर क्षण जला हूं।१। वतन की ढ़ाल बन हर पल डटा हूं, मन दुश्मन के लिए ऐसी बला हूं।२। मेरी पहचान कुछ भी तो नहीं है, तिरंगे रंग में ही मैं मिला हूं।३। कभी ये ज़ज़्बा हम मिटने न देंगे, रहेगा चलता मैं वो सिलसिला हूं।४। मनायें ज़श्न आजादी का हम भी, तिरंगा छांव मैं भी चाहता हूं।५। कटी है ज़िन्दगी किश्तों में मेरी, न जाने मैं कहां-कैसे बटा हूं।६। बशर हूं सर ज़मीं की गोद भाती, फ़िज़ा में गूंजती मैं वो सद़ा हूं।७। हमें सरहद सुकूं देता है तनुजा, अलामत है मैं औरों से जुदा हूं।८। ©Archana Tiwari Tanuja "

ग़ज़ल:- मैं उम्मीदों का जलता इक दिया हूं, उजाला करने को हर क्षण जला हूं।१। वतन की ढ़ाल बन हर पल डटा हूं, मन दुश्मन के लिए ऐसी बला हूं।२। मेरी पहचान कुछ भी तो नहीं है, तिरंगे रंग में ही मैं मिला हूं।३। कभी ये ज़ज़्बा हम मिटने न देंगे, रहेगा चलता मैं वो सिलसिला हूं।४। मनायें ज़श्न आजादी का हम भी, तिरंगा छांव मैं भी चाहता हूं।५। कटी है ज़िन्दगी किश्तों में मेरी, न जाने मैं कहां-कैसे बटा हूं।६। बशर हूं सर ज़मीं की गोद भाती, फ़िज़ा में गूंजती मैं वो सद़ा हूं।७। हमें सरहद सुकूं देता है तनुजा, अलामत है मैं औरों से जुदा हूं।८। ©Archana Tiwari Tanuja

#shaheeddiwas #gazal #MyThoughts 24/03/2022

वज़्न-: १२२२ १२२२ १२२

मैं उम्मीदों का जलता इक दिया हूं,
उजाला करने को हर क्षण जला हूं।१।

वतन की ढ़ाल बन हर पल डटा हूं,

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