जब दूर दूर तक इतना सन्नाटा हो न, की तुम्हारे धड़कन | हिंदी Life

"जब दूर दूर तक इतना सन्नाटा हो न, की तुम्हारे धड़कन की प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे। और चारों तरफ बस तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो, क्या तब भी..... खुद से भाग पाना मुमकिन है? शोर में तुम्हारी आवाज़ का खो जाना तो लाज़मी है, पर क्या इन सन्नाटो में तुम्हारी ख़ामोशी भी इसी तरह ग़ुम हो पाएगी? या इसमें कैद तुम्हारे वो ख़याल, कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे, ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का। ©Dr Jyotirmayee Patel"

 जब दूर दूर तक
इतना सन्नाटा हो न,
की तुम्हारे धड़कन की
प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे।
और चारों तरफ बस
तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो,
क्या तब भी.....
खुद से भाग पाना मुमकिन है?

शोर में तुम्हारी आवाज़ का
खो जाना तो लाज़मी है,
पर क्या इन सन्नाटो में
तुम्हारी ख़ामोशी भी
इसी तरह ग़ुम हो पाएगी?
या इसमें कैद 
तुम्हारे वो ख़याल,
कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे,
ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का।

©Dr Jyotirmayee Patel

जब दूर दूर तक इतना सन्नाटा हो न, की तुम्हारे धड़कन की प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे। और चारों तरफ बस तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो, क्या तब भी..... खुद से भाग पाना मुमकिन है? शोर में तुम्हारी आवाज़ का खो जाना तो लाज़मी है, पर क्या इन सन्नाटो में तुम्हारी ख़ामोशी भी इसी तरह ग़ुम हो पाएगी? या इसमें कैद तुम्हारे वो ख़याल, कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे, ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का। ©Dr Jyotirmayee Patel

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