Dr Jyotirmayee Patel

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a lost soul with nowhere to go........

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जब दूर दूर तक इतना सन्नाटा हो न, की तुम्हारे धड़कन की प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे। और चारों तरफ बस तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो, क्या तब भी..... खुद से भाग पाना मुमकिन है? शोर में तुम्हारी आवाज़ का खो जाना तो लाज़मी है, पर क्या इन सन्नाटो में तुम्हारी ख़ामोशी भी इसी तरह ग़ुम हो पाएगी? या इसमें कैद तुम्हारे वो ख़याल, कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे, ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का। ©Dr Jyotirmayee Patel

 जब दूर दूर तक
इतना सन्नाटा हो न,
की तुम्हारे धड़कन की
प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे।
और चारों तरफ बस
तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो,
क्या तब भी.....
खुद से भाग पाना मुमकिन है?

शोर में तुम्हारी आवाज़ का
खो जाना तो लाज़मी है,
पर क्या इन सन्नाटो में
तुम्हारी ख़ामोशी भी
इसी तरह ग़ुम हो पाएगी?
या इसमें कैद 
तुम्हारे वो ख़याल,
कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे,
ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का।

©Dr Jyotirmayee Patel

जब दूर दूर तक इतना सन्नाटा हो न, की तुम्हारे धड़कन की प्रतिध्वनि सुनाई देने लगे। और चारों तरफ बस तुम्हारे ख़यालो की गूँज हो, क्या तब भी..... खुद से भाग पाना मुमकिन है? शोर में तुम्हारी आवाज़ का खो जाना तो लाज़मी है, पर क्या इन सन्नाटो में तुम्हारी ख़ामोशी भी इसी तरह ग़ुम हो पाएगी? या इसमें कैद तुम्हारे वो ख़याल, कोई और ज़रिया ढूँढ लेंगे, ख़ुद को ज़ाहिर कर लेने का। ©Dr Jyotirmayee Patel

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चमकते सितारे और रौशन घरौंदों के दरमियाँ.... कुछ सड़के, कुछ गलियाँ हैं जहाँ आज भी रोशनी जुगनुओं से है....। ©Dr Jyotirmayee Patel

#Quotes  चमकते सितारे और रौशन घरौंदों
के दरमियाँ....
कुछ सड़के, कुछ गलियाँ हैं
जहाँ आज भी रोशनी 
जुगनुओं से है....।

©Dr Jyotirmayee Patel

चमकते सितारे और रौशन घरौंदों के दरमियाँ.... कुछ सड़के, कुछ गलियाँ हैं जहाँ आज भी रोशनी जुगनुओं से है....। ©Dr Jyotirmayee Patel

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#kuchlafz

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#Hope

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#pyaar

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कैसे...किस्मत की इन आड़ी-टेड़ी लकीरों में उलझ कर भी एक सीधी सी ज़िन्दगी जी जा सकती है। कैसे....तुम पर फेंके गए उन तामाम पत्थरों से भी, खुद का एक आशियाना बनाया जा सकता है। कैसे.... अपने से ज़्यादा, अपनों का ख़याल रखा जाता है। दिन कैसा भी गुज़रा हो तुम्हारा कैसे मुस्कुरा कर घर लौटा जाता है। पापा..... तुम कितना कुछ सिखाते हो। वो सब भी बताते हो, जिससे ये दुनियाँ सारी बेखबर है। इसलिए शायद, मेरे "सुकून" का दूसरा नाम तुम हो। जहाँ खुल कर साँस मैं भर पाती हूँ.... बात बात पर मुस्कुराती हूँ, वो घर ....वो आँगन.... तुम हो। ©Dr Jyotirmayee Patel

 कैसे...किस्मत की
इन आड़ी-टेड़ी लकीरों में
उलझ कर भी
एक सीधी सी ज़िन्दगी जी जा सकती है।

कैसे....तुम पर फेंके गए
उन तामाम पत्थरों से भी,
खुद का एक आशियाना
बनाया जा सकता है।

कैसे.... अपने से ज़्यादा,
अपनों का ख़याल रखा जाता है।
दिन कैसा भी गुज़रा हो तुम्हारा
कैसे मुस्कुरा कर
घर लौटा जाता है।

पापा.....
तुम कितना कुछ सिखाते हो।
वो सब भी बताते हो,
जिससे ये दुनियाँ सारी बेखबर है।

इसलिए शायद,
मेरे "सुकून" का दूसरा नाम
तुम हो।
जहाँ खुल कर साँस
मैं भर पाती हूँ....
बात बात पर मुस्कुराती हूँ,
वो घर ....वो आँगन....
तुम हो।

©Dr Jyotirmayee Patel

कैसे...किस्मत की इन आड़ी-टेड़ी लकीरों में उलझ कर भी एक सीधी सी ज़िन्दगी जी जा सकती है। कैसे....तुम पर फेंके गए उन तामाम पत्थरों से भी, खुद का एक आशियाना बनाया जा सकता है। कैसे.... अपने से ज़्यादा, अपनों का ख़याल रखा जाता है। दिन कैसा भी गुज़रा हो तुम्हारा कैसे मुस्कुरा कर घर लौटा जाता है। पापा..... तुम कितना कुछ सिखाते हो। वो सब भी बताते हो, जिससे ये दुनियाँ सारी बेखबर है। इसलिए शायद, मेरे "सुकून" का दूसरा नाम तुम हो। जहाँ खुल कर साँस मैं भर पाती हूँ.... बात बात पर मुस्कुराती हूँ, वो घर ....वो आँगन.... तुम हो। ©Dr Jyotirmayee Patel

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