चाहता रहा स्नेह ,जिम्मेदारियाँ सौंपी गई
चाहता रहा प्रेम ,कमजोरियाँ थोपी गई
जीवन भर दौड़ाते रहे ,दौड़ाते रहे
क्या वो चाहते रहे ,क्या हम चाहते रहे ।
कुछ वे समझ लेते ,कुछ हम समझ लेते ।
मिल बैठते ,तो जीवन जी लेते ।
पर सलीका कहने का न उनको आया
सलीका सुनने का न हमको आया ।
जो वो बनाना चाहते थे ,हम बन न सके
जिसे वो चाहते थे ,हम हो न सके ।
उम्र गुजरी भागते भागते ही मेरी
हर वक्त खोजते रहे मुरव्वत तेरी ।।
©दर्शनप्रशांत
#leftalone