मान जाओ,की तुमसे कम हम नहीं, तुम्हें दौलत का नशा ह | हिंदी Shayari

"मान जाओ,की तुमसे कम हम नहीं, तुम्हें दौलत का नशा है,तो खुदगर्ज़ी हममें भी कम नहीं। फर्जी बोलते हो की तुम हो हमसे बढ़के, काबू में रखो 'अल्फ़ाज़' अपने ,तुम्हारी चाय में भी दम नहीं।"

 मान जाओ,की तुमसे कम हम नहीं,
तुम्हें दौलत का नशा है,तो खुदगर्ज़ी हममें भी कम नहीं।
फर्जी बोलते हो की तुम हो हमसे बढ़के,
काबू में रखो 'अल्फ़ाज़' अपने ,तुम्हारी चाय में भी दम नहीं।

मान जाओ,की तुमसे कम हम नहीं, तुम्हें दौलत का नशा है,तो खुदगर्ज़ी हममें भी कम नहीं। फर्जी बोलते हो की तुम हो हमसे बढ़के, काबू में रखो 'अल्फ़ाज़' अपने ,तुम्हारी चाय में भी दम नहीं।

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