हमसे पूछो ज़ख़्म दिल के कैसे होते हैं
घर होकर भी लोग बेघर कैसे होते हैं
दरिया थे जो करते थे हर बात पर हल्ला
हमसे सीखो खामोश समुंदर कैसे होते हैं
माला में तो साथ में सब अच्छे लगते थे
हमसे पूछो बिखरे मोती कैसे होते हैं
सबकुछ जो मिल जाए तो ख़्वाहिश कैसी
हमसे पूछो टूटे इंसान कैसे होते हैं
रोने को जब कोई भी कांधा मिल ना पाये
हमसे पूछो तन्हा आँसु कैसे होते हैं ।
©Mohsin Uttarakhandi
#ArabianNight humse poocho