Mohsin Uttarakhandi

Mohsin Uttarakhandi

Khud Se Rooth jata hun Khud Ko hi Mana Leta Hun Aye Jindagi Mein Har Tarah Tera Sath Nibhaa Leta hun.

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White तन्हाइयों से अपनी उकता गया हूँ मैं यूँ ही चलते चलते कहाँ आ गया हूँ मैं ये सफ़र ए ज़िंदगी और इसमें शामिल लोग सोचकर सबके बारे में घबरा गया हूँ मैं उसने भी किये वादे औरों की तरह लेकिन इस बार भी एक और फरेब खा गया हूँ मैं ज़माने की तरह तुमको मज़ा आयेगा बहुत लेकर के अपनी दास्ताँ लो आ गया हूँ मैं उसको देखे बिना ही हम शर्त लगा बैठे नतिजतन ये दिल हार के आ गया हूँ मैं इल्ज़ाम देने वाला अब माफ़ी को कहता है पहले ही जिसे माफ़ करके आ गया हूँ मैं मौला जो तूने बाज़ुओं में कुव्वत अता करदी बन कर के कहर दुश्मनो पर आ गया हूँ मैं हैरत में हूँ मुझमें तो ऐसी बात नहीं मोहसिन बेशक दुआ का असर है जो छा गया हूँ मैं। मोहसिन उत्तराखंडी। ©Mohsin Uttarakhandi

#Romantic  White तन्हाइयों से अपनी उकता गया हूँ मैं
यूँ ही चलते चलते कहाँ आ गया हूँ मैं
ये सफ़र ए ज़िंदगी और इसमें शामिल लोग 
सोचकर सबके बारे में घबरा गया हूँ मैं
उसने भी किये वादे औरों की तरह लेकिन 
इस बार भी एक और फरेब खा गया हूँ मैं
ज़माने की तरह तुमको मज़ा आयेगा बहुत 
लेकर के अपनी दास्ताँ लो आ गया हूँ मैं
उसको देखे बिना ही हम शर्त लगा बैठे 
नतिजतन ये दिल हार के आ गया हूँ मैं
इल्ज़ाम देने वाला अब माफ़ी को कहता है 
पहले ही जिसे माफ़ करके आ गया हूँ मैं
मौला जो तूने बाज़ुओं में कुव्वत अता करदी
बन कर के कहर दुश्मनो पर आ गया हूँ मैं
हैरत में हूँ मुझमें तो ऐसी बात नहीं मोहसिन
बेशक दुआ का असर है जो छा गया हूँ मैं। 

मोहसिन उत्तराखंडी।

©Mohsin Uttarakhandi

#Romantic

16 Love

#boatclub  हमसे भी भला कोई मोहब्बत करेगा क्यों
पैसा नही जो पास तो इज़्ज़त करेगा क्यों
पुराना लिबास उस पर शिकन भरा चेहरा 
हमसे अच्छे हैं यहाँ तो हम पर मरेगा क्यों
दौलत को ही जिसने ख़ुदा मान लिया है
सच्चे ख़ुदा से वो भला अब डरेगा क्यों 
प्यार वफ़ा कसमें वादे निभा चुका है जो 
वो फिर किसी के प्यार में पागल बनेगा क्यों 
दिन रात एक ही बात वही तंज़ ओ तमाशे 
हर वक़्त कुरेदते हो तो ज़ख़्म भरेगा क्यों
मिलना बिछड़ना"मोहसिन"मुकद्दर की बात है 
जितना किया है तुमने वो कोई करेगा क्यों। 

(मोहसिन उत्तराखंडी)

©Mohsin Uttarakhandi

#boatclub humse bhi bhala koi mohabbat

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kahin oar bhi rahen hum tum mohabbat phir mohabbat hai.

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#ArabianNight  हमसे पूछो ज़ख़्म दिल के  कैसे होते हैं 
घर होकर भी लोग बेघर कैसे होते हैं 
दरिया थे जो करते थे हर बात पर हल्ला
हमसे सीखो खामोश समुंदर कैसे होते हैं 
माला में तो साथ में सब अच्छे लगते थे 
हमसे पूछो बिखरे मोती कैसे होते हैं 
सबकुछ जो मिल जाए तो ख़्वाहिश कैसी
हमसे पूछो टूटे इंसान कैसे होते हैं 
रोने को जब कोई भी कांधा मिल ना पाये
हमसे पूछो तन्हा आँसु कैसे होते हैं ।

©Mohsin Uttarakhandi

#ArabianNight humse poocho

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अधूरे थे अधूरे हैं

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