हमसे भी भला कोई मोहब्बत करेगा क्यों
पैसा नही जो पास तो इज़्ज़त करेगा क्यों
पुराना लिबास उस पर शिकन भरा चेहरा
हमसे अच्छे हैं यहाँ तो हम पर मरेगा क्यों
दौलत को ही जिसने ख़ुदा मान लिया है
सच्चे ख़ुदा से वो भला अब डरेगा क्यों
प्यार वफ़ा कसमें वादे निभा चुका है जो
वो फिर किसी के प्यार में पागल बनेगा क्यों
दिन रात एक ही बात वही तंज़ ओ तमाशे
हर वक़्त कुरेदते हो तो ज़ख़्म भरेगा क्यों
मिलना बिछड़ना"मोहसिन"मुकद्दर की बात है
जितना किया है तुमने वो कोई करेगा क्यों।
(मोहसिन उत्तराखंडी)
©Mohsin Uttarakhandi
#boatclub humse bhi bhala koi mohabbat