गर चाँद को छूने की ख्वाहिश है तो उसकी घटन-बढन को | हिंदी कविता

"गर चाँद को छूने की ख्वाहिश है तो उसकी घटन-बढन को भी अपनाना होगा चाँद सिर्फ पूर्णमासी को पूरा होता है फिर उसके अधूरेपन को भी ख्वाब बनाना होगा । प्रवीन मलिक ©Parveen Malik"

 गर चाँद को छूने की ख्वाहिश है तो 
उसकी घटन-बढन को भी अपनाना होगा
चाँद सिर्फ पूर्णमासी को पूरा होता है 
फिर उसके अधूरेपन को भी ख्वाब बनाना होगा ।

प्रवीन मलिक

©Parveen Malik

गर चाँद को छूने की ख्वाहिश है तो उसकी घटन-बढन को भी अपनाना होगा चाँद सिर्फ पूर्णमासी को पूरा होता है फिर उसके अधूरेपन को भी ख्वाब बनाना होगा । प्रवीन मलिक ©Parveen Malik

#ख्वाहिश #चाँद #तन्हाई #अधूरापन

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