अक्सर मेरी नींद टूट जाती है, पर मुझे दुःख इसका नही | हिंदी शायरी

"अक्सर मेरी नींद टूट जाती है, पर मुझे दुःख इसका नहीं है। मुझे दुःख इस बात का रहा है, मैं ख़वाब में तुम्हें गले लगाने वाला था। और मेरी नींद टूट गई, जितना दुःख नींद टूटने का है। उसे कहीं ज्यादा इस बात से है की मैं तुम्हे ख़्वाब में भी गले न लगा पाया।। क्यों ये नींद उसी वक्त टूटी है, जिस वक्त मैं तुम्हारे बेहद करीब था। तुम्हे गले न लगा पाना, सिर्फ गले न लगा पाना नहीं है। ये मेरे सालों की अधूरी चाहत है, जो ख़्वाब में भी पूरी नहीं हो रही।। ©Sachin Mishra"

 अक्सर मेरी नींद टूट जाती है, पर मुझे दुःख इसका नहीं है।
मुझे दुःख इस बात का रहा है, मैं ख़वाब में तुम्हें गले लगाने वाला था।
और मेरी नींद टूट गई, जितना दुःख नींद टूटने का है।
उसे कहीं ज्यादा इस बात से है की मैं तुम्हे ख़्वाब में भी गले न लगा पाया।।
क्यों ये नींद उसी वक्त टूटी है, जिस वक्त मैं तुम्हारे बेहद करीब था।
तुम्हे गले न लगा पाना, सिर्फ गले न लगा पाना नहीं है।
ये मेरे सालों की अधूरी चाहत है, जो ख़्वाब में भी पूरी नहीं हो रही।।

©Sachin Mishra

अक्सर मेरी नींद टूट जाती है, पर मुझे दुःख इसका नहीं है। मुझे दुःख इस बात का रहा है, मैं ख़वाब में तुम्हें गले लगाने वाला था। और मेरी नींद टूट गई, जितना दुःख नींद टूटने का है। उसे कहीं ज्यादा इस बात से है की मैं तुम्हे ख़्वाब में भी गले न लगा पाया।। क्यों ये नींद उसी वक्त टूटी है, जिस वक्त मैं तुम्हारे बेहद करीब था। तुम्हे गले न लगा पाना, सिर्फ गले न लगा पाना नहीं है। ये मेरे सालों की अधूरी चाहत है, जो ख़्वाब में भी पूरी नहीं हो रही।। ©Sachin Mishra

#ख़्वाब

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