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अभी चंद रोज़ पहले मिली थी मौत, उसे अभी भी अपने घर में बैठाए रखा है। instagram shayar_kah_loo
White कदमों का क्या था ये तो भटक ही जाते है, मसला दिल का था ये तो अटक ही जाता है। तुम्हारे पास से गुजारूं और पलट कर भी न देखूं, यानि बरसात हो और मैं न भीगूं।। चांदनी रात को ओढ़ लो चादर चांद की, फिर भी मैं तुम्हारी चमक को तरसू। बैठो मेरे आगोश में तुम चांदनी रात में, यानी चांद हो मेरा और मैं चांद की रोशनी को तरसू।। ©Sachin Mishra
Sachin Mishra
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White जो भी वक्त मिले मुझे , वो सब मैं तुम्हारे साथ गुजार लूं। सब यादों का एक छोटा सा पिटारा बांध लूं, तुम साथ रहो और मैं तुमको पा लूं।। तुम्हारे माथे को चूमू, तुम्हारे बालों से खेल जाऊं। माथे की छोटी बिंदी पर, मैं अपना दिल हार जाऊं।। तुम मुस्कुराओ और तुम्हारे डिंपल पर, मैं अपनी सारी खुशियां वार जाऊं। सब यादों के सहारे मैं, बाकी की अपनी सारी जिंदगी काट जाऊं।। ©Sachin Mishra
ये जो इठला रहे है हमें नीचा दिखा कर, अब उन्हें कोई बतलाए की। वो जो बने हैं इनकी महफिलों में साहिब-ए-सद्र, वो हमारी महफिलों से ठुकराए हुए है।। ©Sachin Mishra
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White उनको भी सलाम जिन्होंने हमे भरी महफ़िल में ठुकराया है, साथ देने वालों के लिए जान भी कुर्बान है। ©Sachin Mishra
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हम लिख नहीं पाते नाम तुम्हारा अपने नाम के साथ, चलो तुम्हारे नाम का एक गुलाब ही सिरहाने रख देते है। तुम्हारी मुस्कुराहट की नजर उतार लूं, और बना कर माला पहन लूं तुम्हारी सारी बलाएं अपने गले।। ©Sachin Mishra
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