Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की स | हिंदी कविता

"Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे ------------------------------------------------------------------------- चर्मण्वती के तट पर, तू बसा है जिस तरह, अंकित है तेरा भी नाम, 1857 के गदर में। और राष्ट्र के हर हृदय में, मौजूद है तू भी, एक छोटे कानपुर के नाम से। शैक्षणिक नगरी के नाम से, तू महशूर है हर किसी की जुबां पर, बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी, एक असीम सुख की तरह। यह मेरा जो अस्तित्व है आज, और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज, जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि, उसका जन्मदाता तू ही है, उसका पोषक तू ही है। जब कभी भी आता हूँ मैं, तेरी इस धरती पर, नाचने लगता है मेरा मन, और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें। जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया, एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे, उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान) ©Gurudeen Verma"

 Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
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चर्मण्वती के तट पर, 
तू  बसा है जिस तरह,
अंकित है तेरा भी नाम,
1857 के गदर में।

और राष्ट्र के हर हृदय में,
मौजूद है तू भी,
एक छोटे कानपुर के नाम से।

शैक्षणिक नगरी के नाम से,
तू महशूर है हर किसी की जुबां पर,
बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी,
एक असीम सुख की तरह।

 यह मेरा जो अस्तित्व है आज,
और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज,
जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि,
उसका जन्मदाता तू ही है,
उसका पोषक तू ही है।

जब कभी भी आता हूँ मैं,
तेरी इस धरती पर,
नाचने लगता है मेरा मन,
और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें।

जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया,
एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे,
उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा,
मेरे जीवन की सफलता के पीछे।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे ------------------------------------------------------------------------- चर्मण्वती के तट पर, तू बसा है जिस तरह, अंकित है तेरा भी नाम, 1857 के गदर में। और राष्ट्र के हर हृदय में, मौजूद है तू भी, एक छोटे कानपुर के नाम से। शैक्षणिक नगरी के नाम से, तू महशूर है हर किसी की जुबां पर, बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी, एक असीम सुख की तरह। यह मेरा जो अस्तित्व है आज, और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज, जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि, उसका जन्मदाता तू ही है, उसका पोषक तू ही है। जब कभी भी आता हूँ मैं, तेरी इस धरती पर, नाचने लगता है मेरा मन, और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें। जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया, एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे, उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

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