स्थापित हैं तुम्हारे चरणकमल,
मेरे मनरूप सरोवर में,
अति सुन्दर अलक हैं माथे पर,
दर्शन में नित खो जाता मैं,
तुम भय, विषाद हरने वाले,
मन दोषों को दलने वाले,
जग का पोषण करने वाले,
श्री कृष्णचन्द्र! शत–शत प्रणाम।। श्री.....
©Tara Chandra
श्रीकृष्ण_स्तुति 5/8