हर रोज़ इक जागता स्वप्न
स्वांस लेता है हृदय में.....
सोचता है कि
वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह ही
मीलो दूर से कहीं....
कि एकांत उसका भी
मुझसे ही बातें कर रहा होगा......
ढूंढती होगी
नज़र उसकी मुझे
हर शय में....
करता होगा महसूस मुझे भी वो टूटकर
मेरी तरह ही.....
और बिखरकर मुझमें
समेटता होगा संपूर्ण तक मुझे........
कि अंश अंश तक मेरा
समाहित कर रहा होगा
निज में......
थक रहा होगा...संभल रहा होगा...
कि पीकर प्रेम को
वो चल रहा होगा
अपने पथ...मुझे लेकर....
मेरी तरह हीं...
कि हर रोज़ इक जागता स्वप्न
स्वांस लेता है हृदय में.......
@पुष्पवृतियाँ
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©Pushpvritiya
#मेरीतरहहीं
हर रोज़ इक जागता स्वप्न
स्वांस लेता है हृदय में.....
सोचता है कि
वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह
मीलो दूर से कहीं....
कि एकांत उसका भी