ये जो शायरियाँ हैं मेरी,
जो लिखता हूं मैं याद में तेरी।
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
महज़ ख़्याल तेरा आना,
और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
यादों की टीस दिल में उठना,
और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
बस एक तुझे पाने के लिए,
खुद को खो देना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
डॉ दीपक कुमार 'दीप'
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©Dr Deepak Kumar Deep
#HappyRoseDay