Dr Deepak Kumar Deep

Dr Deepak Kumar Deep Lives in Greater Noida, Uttar Pradesh, India

Nothing Much To Tell, An Educationist by Profession and a Poet by Heart.

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चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी, आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं। उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती, तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#शायरी  चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी,
आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं।
उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती,
तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।।


डॉ दीपक कुमार 'दीप'




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©Dr Deepak Kumar Deep

चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी, आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं। उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती, तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

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चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी, आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं। उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती, तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#शायरी  चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी,
आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं।
उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती,
तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।।


डॉ दीपक कुमार 'दीप'




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©Dr Deepak Kumar Deep

चेहरा नूरानी, होंठ गुलाबी, आंखों की चमक पर क्या ही लिखूं। उफ़ ये सादगी, ये खूबसूरती, तेरी तारीफ में लिखूं तो क्या ही लिखूं।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

14 Love

कहाँ हो? कैसे हो? दो लफ्ज़ ही काफी है, सुकूं-ए-दिल के लिए। वर्ना... परवाह किसे कितनी है, ये बख़ूबी समझते हैं हम।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#शायरी #talaash  कहाँ हो? कैसे हो?
दो लफ्ज़ ही काफी है,
सुकूं-ए-दिल के लिए।
वर्ना...
परवाह किसे कितनी है,
ये बख़ूबी समझते हैं हम।।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'





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©Dr Deepak Kumar Deep

#talaash

15 Love

#शायरी #scared  कहाँ हो? कैसे हो?
दो लफ्ज़ ही काफी है,
सुकूं-ए-दिल के लिए।
वर्ना परवाह किसे कितनी है,
ये बख़ूबी समझते हैं हम।।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#scared

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ये जो शायरियाँ हैं मेरी, जो लिखता हूं मैं याद में तेरी। ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। महज़ ख़्याल तेरा आना, और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। यादों की टीस दिल में उठना, और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। बस एक तुझे पाने के लिए, खुद को खो देना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#कविता #HappyRoseDay  ये जो शायरियाँ हैं मेरी,
जो लिखता हूं मैं याद में तेरी।
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
महज़ ख़्याल तेरा आना,
और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
यादों की टीस दिल में उठना,
और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
बस एक तुझे पाने के लिए,
खुद को खो देना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#HappyRoseDay

11 Love

ये जो शायरियाँ हैं मेरी, जो लिखता हूं मैं याद में तेरी। ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। महज़ ख़्याल तेरा आना, और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। यादों की टीस दिल में उठना, और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। बस एक तुझे पाने के लिए, खुद को खो देना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#कविता #HappyRoseDay  ये जो शायरियाँ हैं मेरी,
जो लिखता हूं मैं याद में तेरी।
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
महज़ ख़्याल तेरा आना,
और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
यादों की टीस दिल में उठना,
और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
बस एक तुझे पाने के लिए,
खुद को खो देना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#HappyRoseDay

12 Love

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