Dr Deepak Kumar Deep

Dr Deepak Kumar Deep Lives in Greater Noida, Uttar Pradesh, India

Nothing Much To Tell, An Educationist by Profession and a Poet by Heart.

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कहाँ हो? कैसे हो? दो लफ्ज़ ही काफी है, सुकूं-ए-दिल के लिए। वर्ना... परवाह किसे कितनी है, ये बख़ूबी समझते हैं हम।। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#शायरी #talaash  कहाँ हो? कैसे हो?
दो लफ्ज़ ही काफी है,
सुकूं-ए-दिल के लिए।
वर्ना...
परवाह किसे कितनी है,
ये बख़ूबी समझते हैं हम।।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'





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©Dr Deepak Kumar Deep

#talaash

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#शायरी #scared  कहाँ हो? कैसे हो?
दो लफ्ज़ ही काफी है,
सुकूं-ए-दिल के लिए।
वर्ना परवाह किसे कितनी है,
ये बख़ूबी समझते हैं हम।।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#scared

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ये जो शायरियाँ हैं मेरी, जो लिखता हूं मैं याद में तेरी। ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। महज़ ख़्याल तेरा आना, और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। यादों की टीस दिल में उठना, और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। बस एक तुझे पाने के लिए, खुद को खो देना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#कविता #HappyRoseDay  ये जो शायरियाँ हैं मेरी,
जो लिखता हूं मैं याद में तेरी।
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
महज़ ख़्याल तेरा आना,
और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
यादों की टीस दिल में उठना,
और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
बस एक तुझे पाने के लिए,
खुद को खो देना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#HappyRoseDay

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ये जो शायरियाँ हैं मेरी, जो लिखता हूं मैं याद में तेरी। ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। महज़ ख़्याल तेरा आना, और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। यादों की टीस दिल में उठना, और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। बस एक तुझे पाने के लिए, खुद को खो देना, ये कुछ और नहीं है, बस इश्क है। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#कविता #HappyRoseDay  ये जो शायरियाँ हैं मेरी,
जो लिखता हूं मैं याद में तेरी।
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
महज़ ख़्याल तेरा आना,
और फ़िज़ा का रंगीन हो जाना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
यादों की टीस दिल में उठना,
और दर्द लफ़्ज़ों में उतर आना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।
बस एक तुझे पाने के लिए,
खुद को खो देना,
ये कुछ और नहीं है,
बस इश्क है।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'






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©Dr Deepak Kumar Deep

#HappyRoseDay

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किसी ने कहा, तुम्हारी शायरी बहुत कमाल है, हमने जवाब दिया, अजी जनाब... जिस के लिए लिखता हूं, वो शख़्स बेमिसाल है। वैसे... ज़ायका कुछ अलग ही है, मेरे लिखे अल्फ़ाज़ों का, किसी को आस्वाद नहीं आता, कोई चाह कर भी भुला नहीं पाता। डॉ दीपक कुमार 'दीप' ©Dr Deepak Kumar Deep

#शायरी #Pencil  किसी ने कहा,
तुम्हारी शायरी बहुत कमाल है,
हमने जवाब दिया,
अजी जनाब...
जिस के लिए लिखता हूं,
वो शख़्स बेमिसाल है।
वैसे...
ज़ायका कुछ अलग ही है,
मेरे लिखे अल्फ़ाज़ों का,
किसी को आस्वाद नहीं आता,
कोई चाह कर भी भुला नहीं पाता।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'

©Dr Deepak Kumar Deep

#Pencil

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Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने दीजिये, एक नया सूरज उगेगा सांस चलने दीजिये। रेत हो, पाषाण हो, हो शूल या फिर घाटियां, आस को हर पल मगर अपने साथ चलने दीजिये। कुछ प्रतीक्षा तो करें चाह होगी पूरी भी, बस राह में बिखरे काँटों को चुन ने दीजिये। जिंदगी के इस सफर में मिलेंगे राही बहुत, बस साथ देने वाले को साथ चलने दीजिये। चाहने वाले यहाँ आप से कैसे मिलें, बस नैनों को नैनों से दो चार होने दीजिये। इस अँधेरे रास्ते पे दीप देगा रौशनी, बस हाथ में ले हाथ अपने साथ चलने दीजिये। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#MeriMatiMeraDesh #शायरी  Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने दीजिये,
एक नया सूरज उगेगा सांस चलने दीजिये।

रेत हो, पाषाण हो, हो शूल या फिर घाटियां,
आस को हर पल मगर अपने साथ चलने दीजिये।

कुछ प्रतीक्षा तो करें चाह होगी पूरी भी,
बस राह में बिखरे काँटों को चुन ने दीजिये। 

जिंदगी के इस सफर में मिलेंगे राही बहुत,
बस साथ देने वाले को साथ चलने दीजिये।

चाहने वाले यहाँ आप से कैसे मिलें,
बस नैनों को नैनों से दो चार होने दीजिये। 

इस अँधेरे रास्ते पे दीप देगा रौशनी,
बस हाथ में ले हाथ अपने साथ चलने दीजिये।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'







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