ढह गया मन का सितारा, दूर मांझी से किनारा, ज | हिंदी शायरी

"ढह गया मन का सितारा, दूर मांझी से किनारा, जीत की उम्मीद धूमिल, हुआ सौदे में ख़सारा, बेख़ुदी में किया खिदमत, नासमझ था दिल हमारा, दूर मंज़िल से मुसाफ़िर, चाँद बेबस बेसहारा, चाहे जैसी रहगुज़र हो, वक़्त को सबने गुजारा, ज़िन्दगी की ज़ुस्तज़ू में, पाँव सबने है पसारा, हो रही बारिश कृपा की, बड़ा मनमोहक नजारा, हृदय में आनन्द 'गुंजन', मिले ना अवसर दोबारा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra"

 ढह गया मन का सितारा,
दूर   मांझी   से  किनारा, 

जीत की  उम्मीद धूमिल, 
हुआ   सौदे  में   ख़सारा,

बेख़ुदी में किया खिदमत,
नासमझ था दिल हमारा,

दूर  मंज़िल से  मुसाफ़िर, 
चाँद    बेबस    बेसहारा,

चाहे  जैसी  रहगुज़र  हो, 
वक़्त को  सबने  गुजारा,

ज़िन्दगी  की  ज़ुस्तज़ू में, 
पाँव   सबने   है  पसारा,

हो रही बारिश  कृपा की, 
बड़ा  मनमोहक  नजारा,

हृदय में  आनन्द  'गुंजन',
मिले ना  अवसर दोबारा,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

ढह गया मन का सितारा, दूर मांझी से किनारा, जीत की उम्मीद धूमिल, हुआ सौदे में ख़सारा, बेख़ुदी में किया खिदमत, नासमझ था दिल हमारा, दूर मंज़िल से मुसाफ़िर, चाँद बेबस बेसहारा, चाहे जैसी रहगुज़र हो, वक़्त को सबने गुजारा, ज़िन्दगी की ज़ुस्तज़ू में, पाँव सबने है पसारा, हो रही बारिश कृपा की, बड़ा मनमोहक नजारा, हृदय में आनन्द 'गुंजन', मिले ना अवसर दोबारा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#मिले ना अवसर दोबारा#

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