अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं, अभी रोक लो तो ठहर | हिंदी शायरी

"अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं, अभी रोक लो तो ठहर जाऊँगा मैं, कहाँ ढूंढ़ोगे फिर, कहाँ फिर मिलूंगा, अगर वक्त बन के गुजर जाऊंगा मैं. ©अनुभव पंडित जी"

 अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं,
अभी रोक लो तो ठहर जाऊँगा मैं,
कहाँ ढूंढ़ोगे फिर, कहाँ फिर मिलूंगा,
अगर वक्त बन के गुजर जाऊंगा मैं.

©अनुभव पंडित जी

अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं, अभी रोक लो तो ठहर जाऊँगा मैं, कहाँ ढूंढ़ोगे फिर, कहाँ फिर मिलूंगा, अगर वक्त बन के गुजर जाऊंगा मैं. ©अनुभव पंडित जी

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