पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें अम | हिंदी कविता

"पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें अम्बर में है चांद अकेला कोई तारा उसके पास नहीं तारे भी छिप जायें अगर तो साथ घनेरी रात तो है पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें मन की ये घबराहट, बेचैनी दिन दिन हमको मार रही तुम बिन सूनी दिल की कुटिया रस्ता तुम्हारा निहार रही बरसाने की राधा के संग मुरली का स्वर साथ तो है पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें P. S. Rajput ©Pushpendra Singh Rajput"

 पर हम तो दिन रात अकेले
क्या  हम  तुमको  बतलायें
अम्बर में है चांद अकेला
कोई तारा उसके पास नहीं
तारे भी छिप जायें अगर तो
साथ घनेरी रात तो है
पर हम तो दिन रात अकेले
क्या हम तुमको बतलायें
मन की ये घबराहट, बेचैनी
दिन दिन हमको मार रही
तुम बिन सूनी दिल की कुटिया
रस्ता तुम्हारा निहार रही
बरसाने की राधा के संग
मुरली का स्वर साथ तो है
पर हम तो दिन रात अकेले
क्या हम तुमको बतलायें
                                P. S. Rajput

©Pushpendra Singh Rajput

पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें अम्बर में है चांद अकेला कोई तारा उसके पास नहीं तारे भी छिप जायें अगर तो साथ घनेरी रात तो है पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें मन की ये घबराहट, बेचैनी दिन दिन हमको मार रही तुम बिन सूनी दिल की कुटिया रस्ता तुम्हारा निहार रही बरसाने की राधा के संग मुरली का स्वर साथ तो है पर हम तो दिन रात अकेले क्या हम तुमको बतलायें P. S. Rajput ©Pushpendra Singh Rajput

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