White कश्ती हूं पतवार पिता हैं।
जीवन के आधार पिता हैं।।
एक पिता का होना ही तो,
दौलत क्या? संसार पिता हैं।।
घेरें जब भी दुःख दुनिया के।
बन जाते तब प्यार पिता हैं।।
जब भी खुद से हारे होते।
लगते तब उपहार पिता हैं।।
सरल पिता सा न कोई भी।
पढ़ लेना अवतार पिता हैं।।
कष्ट भला आएगा कैसे।
बन बैठे उपचार पिता हैं।।
©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त
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