कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

कवि/स्वतंत्र पत्रकार

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#प्रेम #कविता #जमाना #उम्र #बाप #साल  White साठ साल की उम्र में, चढ़ा प्रेम का भूत।

गजब जमाना आ गया, बाप बने हैं पूत।।

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त
#दादीमाँ #कविता #दादी #love_shayari  White हम बच्चों की खुशियों में सदा अंबार दादी मां।

कोई बाधा न आ पाए सदा उपचार दादी मां।

बिना अम्मा के सब त्यौहार फीके से यहां होते,

बरसता प्रेम जीवन में हंसी फुहार दादी मां।

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त
#कविता #पिता #fathers_day  White कश्ती हूं पतवार पिता हैं।
जीवन के आधार पिता हैं।।

एक पिता का होना ही तो,
दौलत क्या? संसार पिता हैं।।

घेरें जब भी दुःख दुनिया के।
बन जाते तब प्यार पिता हैं।।

जब भी खुद से हारे होते।
लगते तब उपहार पिता हैं।।

सरल पिता सा न कोई भी।
पढ़ लेना अवतार पिता हैं।।

कष्ट भला आएगा कैसे।
बन बैठे उपचार पिता हैं।।

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

नयन हमारे  ख्वाब तुम्हारे सुंदर स्वप्न सलोने से। जीवन में सब  शुभ मंगल है एक तुम्हारे होने से। सिर्फ तुम्हारा नेह चरण रज पाकर मैं आनंदित हूं, कुछ पाने की चाह नहीं पर डरता है मन खोने से। ©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

#स्वप्न #ख्वाब #कविता #सुंदर #सलोने #जीवन  नयन हमारे  ख्वाब तुम्हारे सुंदर स्वप्न सलोने से।

जीवन में सब  शुभ मंगल है एक तुम्हारे होने से।

सिर्फ तुम्हारा नेह चरण रज पाकर मैं आनंदित हूं,

कुछ पाने की चाह नहीं पर डरता है मन खोने से।

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त
#कविता #भरोसा #बुराई #हरजाई #भलाई #पाई  White मन  में  भरी  बुराई  जब  तो  होती  नहीं भलाई  है।

किस पर आखिर करें  भरोसा  दुनिया ये हरजाई है।

आज नहीं तो हल होगा कल दुविधाओं का ये मंजर,

सबके  कर्मों  का  फल  किस्मत  देती  पाई  पाई है।

@अरुण द्विवेदी "अनन्त"

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

मिश्री सा रस घोल न पाए। बंद जुबां ये डोल न पाए। जिनको सबसे प्यारा था मैं, बोल प्यार के बोल न पाए। हर पल मुझको तड़पाए हैं। आंखों से नीर बहाए हैं। कभी मिला न प्यार हमें पर, गीत प्रेम के गाए हैं। ऐसे प्यार से अच्छा है कि, बिना प्यार के रह लेना। जीवन के झंझावातों में, जो मिले गमों को सह लेना। मुझसे दूरी करनी है जो, जो चुपके से तुम कर लेना। विरह वेदना भाएगा ही, अन्तर्मन को भर लेना। नहीं कोई हम नेता हैं, वादों की लड़ियां फेकूंगा। ये प्रेम यज्ञ की आहुति है, इसमें खुद को ही झोकूंगा। निश्चिंत रहो न स्वार्थ सिद्ध में, तुमको कभी पुकारूंगा। जल जाऊंगा परवाना सा, पर तुमको नहीं बुझाऊंगा। ✍️@अरुण द्विवेदी अनन्त @श्री अयोध्या धाम ©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

#kaviarundwivedianant #शायरी  मिश्री सा रस घोल न पाए।
बंद जुबां  ये  डोल न पाए।
जिनको सबसे प्यारा था मैं,
बोल प्यार के बोल न पाए।

हर पल मुझको तड़पाए हैं।
आंखों  से  नीर   बहाए  हैं।
कभी मिला न प्यार हमें पर,
गीत   प्रेम    के    गाए   हैं।

ऐसे प्यार से अच्छा है कि,
बिना प्यार के रह लेना।

जीवन के झंझावातों में,
जो मिले गमों को सह लेना।

मुझसे दूरी करनी है जो,
जो चुपके से तुम कर लेना।

विरह वेदना भाएगा ही,
अन्तर्मन को भर लेना।

नहीं कोई हम नेता हैं,
वादों की लड़ियां फेकूंगा।

ये प्रेम यज्ञ की आहुति है,
इसमें खुद को ही झोकूंगा।

निश्चिंत रहो न स्वार्थ सिद्ध में,
तुमको कभी पुकारूंगा।

जल जाऊंगा परवाना सा,
पर तुमको नहीं बुझाऊंगा।
✍️@अरुण द्विवेदी अनन्त
       @श्री अयोध्या धाम

©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त

मिश्री सा रस घोल न पाए। बंद जुबां ये डोल न पाए। जिनको सबसे प्यारा था मैं, बोल प्यार के बोल न पाए। हर पल मुझको तड़पाए हैं। आंखों से नीर बहाए हैं। कभी मिला न प्यार हमें पर,

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