जननी इस मुस्कुराते चेहरे का दर्द कोई नही समझता मां | मराठी कविता

"जननी इस मुस्कुराते चेहरे का दर्द कोई नही समझता मां । मेरे तकलीफों को तेरे अलावा कोई नहीं समझता मां । याद तेरी हर पल सताती है , फिर याद करके तुझे ये मुस्कुराती है । कमी बहुत खलती है मां , बस इस ख्याल में रहता हुं तू कब आए और मुझे गले लगाए मां । तुम साथ थी तो कोई तकलीफ नहीं था मां , अब तू जो नही सब कुछ सुना लगता है मां। सब कुछ सुना लगता है मां , सब कुछ सुना लगता है मां । ©Saurav Kumar"

 जननी इस मुस्कुराते चेहरे का दर्द कोई नही समझता मां ।
मेरे तकलीफों को तेरे अलावा कोई नहीं समझता मां ।
याद तेरी हर पल सताती है , फिर याद करके तुझे ये मुस्कुराती है ।
कमी बहुत खलती है मां , बस इस ख्याल में रहता हुं तू कब आए और मुझे गले लगाए मां ।
तुम साथ थी तो कोई तकलीफ नहीं था मां ,
अब तू जो नही सब कुछ सुना लगता है मां।
सब कुछ सुना लगता है मां , सब कुछ सुना लगता है मां ।

©Saurav Kumar

जननी इस मुस्कुराते चेहरे का दर्द कोई नही समझता मां । मेरे तकलीफों को तेरे अलावा कोई नहीं समझता मां । याद तेरी हर पल सताती है , फिर याद करके तुझे ये मुस्कुराती है । कमी बहुत खलती है मां , बस इस ख्याल में रहता हुं तू कब आए और मुझे गले लगाए मां । तुम साथ थी तो कोई तकलीफ नहीं था मां , अब तू जो नही सब कुछ सुना लगता है मां। सब कुछ सुना लगता है मां , सब कुछ सुना लगता है मां । ©Saurav Kumar

मां तू ही है जन्नत tu hi hai sahara

#जननी

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