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"                        एहसास-ए-दिल ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  जहाँ ना सड़क है ना मंजिल का पता  बस चलते जा रहा हूँ फकिर की तरह  जिंदगी के इस कठिन मौड पे बस  साथ हे मेरी परछाई  अब तो बस एक मलंग बन गया हूँ बिसमिल की तरह  जाम की तिरसगी में अब ऐसा डुब गया हूँ न जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब तो हर साँस  में रूह काँप जाती है, मानो हर पल मौत धौखा दे जाती हे मौत के डर से में थम सा गया हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  पर फिर एक सफलता की रोशनी दिखाई पडती है जिस को देख मैं चलने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब ना डर हे ना ही हे हारने की वजह बस चलते जा रहा हूँ एक फकिर की तरह चलते चलते पहुँच गया हूँ सफलता की ओर अब तो बस ताज पहनना हे बदशाह की तरह पर फिर सफलता देख मे डरने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  ना जाने जिंदगी  के किस मोड पे आके खड़ा  हो गया हूँ ।"

                         एहसास-ए-दिल

ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
जहाँ ना सड़क है ना मंजिल का पता 
बस चलते जा रहा हूँ फकिर की तरह 
जिंदगी के इस कठिन मौड पे बस  साथ हे मेरी परछाई 
अब तो बस एक मलंग बन गया हूँ बिसमिल की तरह 
जाम की तिरसगी में अब ऐसा डुब गया हूँ
न जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
अब तो हर साँस  में रूह काँप जाती है, मानो हर पल मौत धौखा दे जाती हे
मौत के डर से में थम सा गया हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
पर फिर एक सफलता की रोशनी दिखाई पडती है
जिस को देख मैं चलने लगा हूँ 
ना जाने जिंदगी किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
अब ना डर हे ना ही हे हारने की वजह
बस चलते जा रहा हूँ एक फकिर की तरह
चलते चलते पहुँच गया हूँ सफलता की ओर
अब तो बस ताज पहनना हे बदशाह की तरह
पर फिर सफलता देख मे डरने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
ना जाने जिंदगी  के किस मोड पे आके खड़ा  हो गया हूँ ।

                        एहसास-ए-दिल ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  जहाँ ना सड़क है ना मंजिल का पता  बस चलते जा रहा हूँ फकिर की तरह  जिंदगी के इस कठिन मौड पे बस  साथ हे मेरी परछाई  अब तो बस एक मलंग बन गया हूँ बिसमिल की तरह  जाम की तिरसगी में अब ऐसा डुब गया हूँ न जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब तो हर साँस  में रूह काँप जाती है, मानो हर पल मौत धौखा दे जाती हे मौत के डर से में थम सा गया हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  पर फिर एक सफलता की रोशनी दिखाई पडती है जिस को देख मैं चलने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब ना डर हे ना ही हे हारने की वजह बस चलते जा रहा हूँ एक फकिर की तरह चलते चलते पहुँच गया हूँ सफलता की ओर अब तो बस ताज पहनना हे बदशाह की तरह पर फिर सफलता देख मे डरने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  ना जाने जिंदगी  के किस मोड पे आके खड़ा  हो गया हूँ ।

#alone #thoughtime #thought #SAD #poem #Beauty #Human @Mohd Aszad @Manish Kumar Prenzhania @_Siya392 @Saif Saham ऊषा माथुर

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