Neelesh Singh Sisodia

Neelesh Singh Sisodia Lives in Bhopal, Madhya Pradesh, India

लेखक हूं, कमल को अपनी ताकत और सोच को अपनी पहचान समझता हूं, इन दोनों के मेलजोल से दुनिया जितना चाहता हूं। क्या आप मेरा साथ देंगे?

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हम है हम यही है... आपमें, आप लोगो के भीतर... हम हमेशा जीवित रहेंगे, आप लोगों के दिलों में, हमारी फिल्में हमें ज़िंदा रखेंगी... आप लोगो का प्यार हमें सदियों तक मिलेगा... कई बार ऐसा लगता है कि हम अमर हो गए... क्युकी सच्चा कलाकार तभी बनता है जब सच्चा प्रशंसक उस मिले... एक विरासत छोड़ गए है, संभालिएगा... उसे झुकने ना दीजियेगा... आना जाना तो लगा रहता है पर, ये प्यार कभी कम ना कीजिएगा.... अलविदा♥️ लेखक - नीलेश सिंह सिसोदिया

#riprishikapoor #ripirrfankhan #RishiKapoor #irrfankhan #RIP  हम है हम यही है...
आपमें, आप लोगो के भीतर...
हम हमेशा जीवित रहेंगे, आप लोगों के दिलों में,
हमारी फिल्में हमें ज़िंदा रखेंगी...
आप लोगो का प्यार हमें सदियों तक मिलेगा...
कई बार ऐसा लगता है कि हम अमर हो गए...
क्युकी सच्चा कलाकार तभी बनता है जब सच्चा प्रशंसक उस मिले...

एक विरासत छोड़ गए है, संभालिएगा...
उसे झुकने ना दीजियेगा...
आना जाना तो लगा रहता है पर, ये प्यार कभी कम ना कीजिएगा....

अलविदा♥️
लेखक - नीलेश सिंह सिसोदिया
#inspirational #hindistory #Darwaza #story

                        एहसास-ए-दिल ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  जहाँ ना सड़क है ना मंजिल का पता  बस चलते जा रहा हूँ फकिर की तरह  जिंदगी के इस कठिन मौड पे बस  साथ हे मेरी परछाई  अब तो बस एक मलंग बन गया हूँ बिसमिल की तरह  जाम की तिरसगी में अब ऐसा डुब गया हूँ न जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब तो हर साँस  में रूह काँप जाती है, मानो हर पल मौत धौखा दे जाती हे मौत के डर से में थम सा गया हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ  पर फिर एक सफलता की रोशनी दिखाई पडती है जिस को देख मैं चलने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  अब ना डर हे ना ही हे हारने की वजह बस चलते जा रहा हूँ एक फकिर की तरह चलते चलते पहुँच गया हूँ सफलता की ओर अब तो बस ताज पहनना हे बदशाह की तरह पर फिर सफलता देख मे डरने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ  ना जाने जिंदगी  के किस मोड पे आके खड़ा  हो गया हूँ ।

#शायरी #thoughtime #thought #Beauty #Human                          एहसास-ए-दिल

ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
जहाँ ना सड़क है ना मंजिल का पता 
बस चलते जा रहा हूँ फकिर की तरह 
जिंदगी के इस कठिन मौड पे बस  साथ हे मेरी परछाई 
अब तो बस एक मलंग बन गया हूँ बिसमिल की तरह 
जाम की तिरसगी में अब ऐसा डुब गया हूँ
न जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
अब तो हर साँस  में रूह काँप जाती है, मानो हर पल मौत धौखा दे जाती हे
मौत के डर से में थम सा गया हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मौड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
पर फिर एक सफलता की रोशनी दिखाई पडती है
जिस को देख मैं चलने लगा हूँ 
ना जाने जिंदगी किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
अब ना डर हे ना ही हे हारने की वजह
बस चलते जा रहा हूँ एक फकिर की तरह
चलते चलते पहुँच गया हूँ सफलता की ओर
अब तो बस ताज पहनना हे बदशाह की तरह
पर फिर सफलता देख मे डरने लगा हूँ  ना जाने जिंदगी के किस मोड पे आके खड़ा हो गया हूँ 
ना जाने जिंदगी  के किस मोड पे आके खड़ा  हो गया हूँ ।

चलना तो इंसान की फितरत है और हर चलते हुये इंसान के पीछे एक कहानी होती  है, वो कहानी या तो उसे चलने के लिये प्रोत्साहन करती है या बैसाखी बन उसकी लरखराहट का सहारा, मायने भले ही अलग हो पर इंसान रूकता नहीं, चलता जाता है।

#विचार #inspirational #लाइफ #Emotional #Journey  चलना तो इंसान की फितरत है
और हर चलते हुये इंसान के पीछे एक कहानी होती  है,
वो कहानी या तो उसे चलने के लिये प्रोत्साहन करती है या बैसाखी बन उसकी लरखराहट का सहारा,
मायने भले ही अलग हो पर इंसान रूकता नहीं, चलता जाता है।

जाना ही था तो रूके क्यों ? अकड़ना ही था तो झुके क्यों ?  लड़ना ही था तो मनाया क्यों ? कूछ एसे ही सवालों के जवाब, या जवाब में सवाल, सोचते हूये आज फिर बिस्तर कि ओर मुड़ जाऊँगा।  और लेटे हुऐ ऊपर टंगे पंखे को देख कर मन ही मन मुसकुराऊंगा। और कहूँगा क्या किस्मत हे तेरी जो तेरी पंखुडिया तेरे साथ है। जिसके सहारे तू अपना अस्तिव संभाले हुये है, वरना बिन पंखुडी तेरा अस्तिव मूझ जैसा होता। जो बिजली रूपी जीवन के सहारे घूम तो पाता पर पंखूडिया ना होने के कारण हवा रूपी खूशियाँ ना फैला पाता। तेरी याद लोगों बस गर्मी में आती है, पर तेरी पंखूडियाँ हर समय तेरा साथ निभाती है। तू बहुत खुश नसीभ हे जो तू अकेला नहीं है वरना तो ये वृधाश्रम की चार दिवारे हमेशा अकेले होने का भौद कराती है।

#inspirational #ParentsLove #oldagehome #thought #PARENTS  जाना ही था तो रूके क्यों ?
अकड़ना ही था तो झुके क्यों ? 
लड़ना ही था तो मनाया क्यों ?
कूछ एसे ही सवालों के जवाब, या जवाब में सवाल, सोचते हूये आज फिर बिस्तर कि ओर मुड़ जाऊँगा। 
और लेटे हुऐ ऊपर टंगे पंखे को देख कर मन ही मन मुसकुराऊंगा।
और कहूँगा क्या किस्मत हे तेरी जो तेरी पंखुडिया तेरे साथ है।
जिसके सहारे तू अपना अस्तिव संभाले हुये है, वरना बिन पंखुडी तेरा अस्तिव मूझ जैसा होता।
जो बिजली रूपी जीवन के सहारे घूम तो पाता पर पंखूडिया ना होने के कारण हवा रूपी खूशियाँ ना फैला पाता।
तेरी याद लोगों बस गर्मी में आती है, पर तेरी पंखूडियाँ हर समय तेरा साथ निभाती है।
तू बहुत खुश नसीभ हे जो तू अकेला नहीं है वरना तो ये वृधाश्रम की चार दिवारे हमेशा अकेले होने का भौद कराती है।

#thought #poem #Heart #old #oldagehome #parent #ParentsLove #PARENTS #inspirational mahendra das Saif Saham ऊषा माथुर Eisha Mahimastan अधूरी बातें

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आपके लिए प्रकृति का एक संदेश.... #stayhome #corona #Nature #lockdownstory #lockdown #Messege #mothernature #Truth #naturelovers vijay chaudhari mr.salim सूरज कुमार मयंक Pravin Kolhal ALVIN KI DIARY

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