अक्सर कर बैठती है स्त्री ,देह से परे प्रेम , क्यों | हिंदी Video

"अक्सर कर बैठती है स्त्री ,देह से परे प्रेम , क्योंकि वो नही चाहती सिर्फ़ दैहिक सुख, वो मन से भी प्रेम करना जानती है , और मन का भी प्रेम चाहती है, और कर बैठती है वो विवाहेतर प्रेम, और खोल बैठती है अपना अंतर्मन, एक परपुरुष के आगे,निसंकोच,निर्भय होकर परन्तु नही लाँघती वो सिंदूर की मर्यादा को, पायल की खनखन को नही करती अशुद्ध, रहती है पाक पवित्र गंगाजल की तरह , और बाँध लेती है एक और प्रेम को , अपनी सरहदों में , अपनी सीमाओं में, वो तन से ब्याहता है ,और मन से अनछुई, और सींचती रहती है अपने प्रेम को, अपनी अनछुई मोहब्बत से, वाकई स्त्री का मन पढ़ पाना बहुत मुश्किल है, मगर स्त्री को मन से पाना उतना ही आसान...!! - पूनम आत्रेय। ©poonam atrey"

अक्सर कर बैठती है स्त्री ,देह से परे प्रेम , क्योंकि वो नही चाहती सिर्फ़ दैहिक सुख, वो मन से भी प्रेम करना जानती है , और मन का भी प्रेम चाहती है, और कर बैठती है वो विवाहेतर प्रेम, और खोल बैठती है अपना अंतर्मन, एक परपुरुष के आगे,निसंकोच,निर्भय होकर परन्तु नही लाँघती वो सिंदूर की मर्यादा को, पायल की खनखन को नही करती अशुद्ध, रहती है पाक पवित्र गंगाजल की तरह , और बाँध लेती है एक और प्रेम को , अपनी सरहदों में , अपनी सीमाओं में, वो तन से ब्याहता है ,और मन से अनछुई, और सींचती रहती है अपने प्रेम को, अपनी अनछुई मोहब्बत से, वाकई स्त्री का मन पढ़ पाना बहुत मुश्किल है, मगर स्त्री को मन से पाना उतना ही आसान...!! - पूनम आत्रेय। ©poonam atrey

#स्त्री_मन
#पूनमकीकलमसे @hardik Mahajan @Ravi Ranjan Kumar Kausik वंदना .... @Mili Saha भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @Ranjit Kumar

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