उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल व

"उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो"

 उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल
वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो

उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो

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