Ankush Saxena

Ankush Saxena

poet by heart

  • Latest
  • Popular
  • Video

" अब तो रुह का वो अंजान एहसास ही मुझे अपना सा महसूस हुआ करता है अब तो तुम्हारी मौजूदगी की ख्वाहिश करना भी मुझे मानो एक रवायत लगती है "

 " अब तो रुह का वो अंजान एहसास ही मुझे अपना सा महसूस हुआ करता है 
अब तो तुम्हारी मौजूदगी की ख्वाहिश करना भी मुझे मानो एक रवायत लगती है "

" अब तो रुह का वो अंजान एहसास ही मुझे अपना सा महसूस हुआ करता है अब तो तुम्हारी मौजूदगी की ख्वाहिश करना भी मुझे मानो एक रवायत लगती है "

4 Love

"बेघर महसूस होने की खलिश का गर तजुर्बा हासिल करना है तुम्हे किसी शाम दरख्त पर बैठे उस उदास परिंदे से उसका हाल पूछ लेना "

 "बेघर महसूस होने की खलिश का गर तजुर्बा हासिल करना है तुम्हे
किसी शाम दरख्त पर बैठे उस उदास परिंदे से उसका हाल पूछ लेना "

"बेघर महसूस होने की खलिश का गर तजुर्बा हासिल करना है तुम्हे किसी शाम दरख्त पर बैठे उस उदास परिंदे से उसका हाल पूछ लेना "

8 Love

" यूँ तो मौजूद थे फलक मे वे तमाम सितारे जो आज भी नूर कर रहे थे कायनात को बड़ी ही शिद्द्त से , मगर वो एक सितारा कि जिससे मैं गुफ्तगू किया करता था उसकी महज अब परछाई बाकी थी वहाँ "

 " यूँ तो मौजूद थे फलक मे वे तमाम सितारे जो आज भी नूर कर रहे थे कायनात को बड़ी ही शिद्द्त से ,
मगर वो एक सितारा कि जिससे मैं गुफ्तगू किया करता था उसकी महज अब परछाई बाकी थी वहाँ "

" यूँ तो मौजूद थे फलक मे वे तमाम सितारे जो आज भी नूर कर रहे थे कायनात को बड़ी ही शिद्द्त से , मगर वो एक सितारा कि जिससे मैं गुफ्तगू किया करता था उसकी महज अब परछाई बाकी थी वहाँ "

4 Love

उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो

 उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल
वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो

उस दरिया की रुह को महज यही एक ख्वाहिश रही मुसलसल वो जो उसकी खामोशी को सुन सके कोई शख्स ऐसा भी तो हो

3 Love

" यूँ तो उस खाब की दस्तरस मे ही नही है हकीकत हो पाना वो मगर फिर भी हर रात मुझे नींद मे एक उम्मीद दे जाता है "

 " यूँ तो उस खाब की दस्तरस मे ही नही है हकीकत हो पाना
वो मगर फिर भी हर रात मुझे नींद मे एक उम्मीद दे जाता है "

" यूँ तो उस खाब की दस्तरस मे ही नही है हकीकत हो पाना वो मगर फिर भी हर रात मुझे नींद मे एक उम्मीद दे जाता है "

3 Love

" वक्त बेवक्त ही सही पूछ लिया करता हूँ मै उस शख्स से हाल-ए जिंदगी वो जो हर पहर मुझमे होकर भी शायद खामोश सा रहा करता है "

 " वक्त बेवक्त ही सही पूछ लिया करता हूँ मै उस शख्स से हाल-ए जिंदगी 
वो जो हर पहर मुझमे होकर भी शायद खामोश सा रहा करता है "

" वक्त बेवक्त ही सही पूछ लिया करता हूँ मै उस शख्स से हाल-ए जिंदगी वो जो हर पहर मुझमे होकर भी शायद खामोश सा रहा करता है "

4 Love

Trending Topic