White कर दे जब मौसम बेज़ार, लगे नियति बेबस लाचार | हिंदी शायरी

"White कर दे जब मौसम बेज़ार, लगे नियति बेबस लाचार, पतझड़ गुजरी आया बसंत, होती रहती है जीत हार, ख़ुशियों की है आवा-जाही, कर दूँ सारा कुछ दरकिनार, बरसे मधुमय रस प्रेमपूर्ण, आकर छेड़े मन का सितार, देकर सुकून कुछ पल का ही, फिर गुज़र जाए चाहे बहार, भर दे शीतलता धरती पर, सावन में घिर गिरकर फुहार, बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन', दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 White कर दे  जब मौसम बेज़ार,
लगे नियति  बेबस लाचार,

पतझड़ गुजरी आया बसंत, 
होती  रहती  है  जीत हार,

ख़ुशियों की है आवा-जाही, 
कर दूँ सारा कुछ दरकिनार,

बरसे मधुमय रस  प्रेमपूर्ण, 
आकर छेड़े मन का सितार,

देकर सुकून कुछ पल का ही, 
फिर  गुज़र जाए चाहे बहार, 

भर दे  शीतलता  धरती  पर,
सावन में घिर गिरकर फुहार,

बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन',
दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

White कर दे जब मौसम बेज़ार, लगे नियति बेबस लाचार, पतझड़ गुजरी आया बसंत, होती रहती है जीत हार, ख़ुशियों की है आवा-जाही, कर दूँ सारा कुछ दरकिनार, बरसे मधुमय रस प्रेमपूर्ण, आकर छेड़े मन का सितार, देकर सुकून कुछ पल का ही, फिर गुज़र जाए चाहे बहार, भर दे शीतलता धरती पर, सावन में घिर गिरकर फुहार, बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन', दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#गुज़र जाए चाहे बहार#

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