✍️✍️ उसने मुझको खरीद रक्खा है नर्म लहजे ने जीत रक् | हिंदी कविता

"✍️✍️ उसने मुझको खरीद रक्खा है नर्म लहजे ने जीत रक्खा है देखो दीपक धुंआ नहीं करता कैसे जलने से प्रीत रक्खा है मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है उसने यादों से सींच रक्खा है उसमें मौसम की झलक लगती है हर झलक थोड़ी अलग लगती है मेरे ख्वाबों में उजाला है “विनय” श्याम पलकों ने भींच रखा है ©writervinayazad"

 ✍️✍️
उसने मुझको खरीद रक्खा है
नर्म लहजे ने जीत रक्खा है
देखो दीपक धुंआ नहीं करता
कैसे जलने से प्रीत रक्खा है
मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है
उसने यादों से सींच रक्खा है
उसमें मौसम की झलक लगती है
हर झलक थोड़ी अलग लगती है
मेरे ख्वाबों में उजाला है “विनय”
श्याम पलकों ने भींच रखा है

©writervinayazad

✍️✍️ उसने मुझको खरीद रक्खा है नर्म लहजे ने जीत रक्खा है देखो दीपक धुंआ नहीं करता कैसे जलने से प्रीत रक्खा है मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है उसने यादों से सींच रक्खा है उसमें मौसम की झलक लगती है हर झलक थोड़ी अलग लगती है मेरे ख्वाबों में उजाला है “विनय” श्याम पलकों ने भींच रखा है ©writervinayazad

✍️✍️
उसने मुझको खरीद रक्खा है
नर्म लहजे ने जीत रक्खा है
देखो दीपक धुंआ नहीं करता
कैसे जलने से प्रीत रक्खा है
मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है
उसने यादों से सींच रक्खा है
उसमें मौसम की झलक लगती है

People who shared love close

More like this

Trending Topic