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आजाद कभी स्वार्थी नहीं होता स्वार्थी कभी आजाद नहीं होता

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#शायरी #writervinayazad

जमीं पर बैठता हूं #writervinayazad

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✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को पढ़कर भी पढ़ ले कोई इतना भी तो काबिल नहीं है दोनों पक्षों में एक मशवरा है दोनों पक्षों को कुछ हासिल नहीं है हर एक लहजे में एक तप्सरा है कौन है जो यहां बातिल नहीं है मेरी सीने में ही कातिल है विनय मेरी मंजिल तो है साहिल नहीं है ©writervinayazad

#शायरी #writervinayazad  ✍️✍️
सभा है कोई भी शामिल नहीं है
उजाला है मगर झिलमिल नहीं है
मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे
मेरे सीने में कोई दिल नहीं है
जो मेरे लफ्ज को पढ़कर भी पढ़ ले 
कोई इतना भी तो काबिल नहीं है
दोनों पक्षों में एक मशवरा है
दोनों पक्षों को कुछ हासिल नहीं है
हर एक लहजे में एक तप्सरा है
कौन है जो यहां बातिल नहीं है
मेरी सीने में ही कातिल है विनय
मेरी मंजिल तो है साहिल नहीं है

©writervinayazad

✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को पढ़कर भी पढ़ ले कोई इतना भी तो काबिल नहीं है दोनों पक्षों में एक मशवरा है

12 Love

✍️✍️ मुझे कुछ भ्रम ही खैर हो गया था या सहुलत से बैर हो गया था ✍️✍️ वो महज दोस्त था अच्छे दिनों का हवा बदली तो गैर हो गया था ©writervinayazad

#शायरी #writervinayazad  ✍️✍️
मुझे कुछ भ्रम ही खैर हो गया था
या सहुलत से बैर हो गया था
✍️✍️
वो महज दोस्त था अच्छे दिनों का
हवा बदली तो गैर हो गया था

©writervinayazad

✍️✍️ मुझे कुछ भ्रम ही खैर हो गया था या सहुलत से बैर हो गया था ✍️✍️ वो महज दोस्त था अच्छे दिनों का हवा बदली तो गैर हो गया था #writervinayazad

9 Love

✍️✍️ कानों के कच्चे और अक्ल के बच्चे कभी बड़े नहीं होते ©writervinayazad

#शायरी #writervinayazad  ✍️✍️
कानों के कच्चे और अक्ल के बच्चे
कभी बड़े नहीं होते

©writervinayazad

✍️✍️ कानों के कच्चे और अक्ल के बच्चे कभी बड़े नहीं होते #writervinayazad

16 Love

✍️✍️ उसने मुझको खरीद रक्खा है नर्म लहजे ने जीत रक्खा है देखो दीपक धुंआ नहीं करता कैसे जलने से प्रीत रक्खा है मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है उसने यादों से सींच रक्खा है उसमें मौसम की झलक लगती है हर झलक थोड़ी अलग लगती है मेरे ख्वाबों में उजाला है “विनय” श्याम पलकों ने भींच रखा है ©writervinayazad

#कविता #writervinayazad  ✍️✍️
उसने मुझको खरीद रक्खा है
नर्म लहजे ने जीत रक्खा है
देखो दीपक धुंआ नहीं करता
कैसे जलने से प्रीत रक्खा है
मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है
उसने यादों से सींच रक्खा है
उसमें मौसम की झलक लगती है
हर झलक थोड़ी अलग लगती है
मेरे ख्वाबों में उजाला है “विनय”
श्याम पलकों ने भींच रखा है

©writervinayazad

✍️✍️ उसने मुझको खरीद रक्खा है नर्म लहजे ने जीत रक्खा है देखो दीपक धुंआ नहीं करता कैसे जलने से प्रीत रक्खा है मेरा दिल कुछ हरा भरा सा है उसने यादों से सींच रक्खा है उसमें मौसम की झलक लगती है

15 Love

✍️✍️ सारे अखबारों में नशा छा गया है उनका एक कलाम छपना आ गया है ✍️✍️ उसने मुझको देर तक अपना तो कहा ये हकीकत है या सपना आ गया है ✍️✍️ आएंगे दर पर प्रभु इस वास्ते बेर शबरी को यूं चखना आ गया है ✍️✍️ तुम जिसे कहते वो राम, श्याम है श्याम में मुझको वो रखना आ गया है ✍️✍️ ये फिजा रोशन “विनय” उस नाम से नाम जो मोहन का मन को भा गया है ©writervinayazad

#कविता #writervinayazad  ✍️✍️
सारे अखबारों में नशा छा गया है
उनका एक कलाम छपना आ गया है
✍️✍️
उसने मुझको देर तक अपना तो कहा
ये हकीकत है या सपना आ गया है
✍️✍️
आएंगे दर पर प्रभु इस वास्ते
बेर शबरी को यूं चखना आ गया है
✍️✍️
तुम जिसे कहते वो राम, श्याम है
श्याम में मुझको वो रखना आ गया है
✍️✍️
ये फिजा रोशन “विनय” उस नाम से
नाम जो मोहन का मन को भा गया है

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