कीया खास नहीं जिंदगी में, कुछ के लफ्जो पे मुस्कान | हिंदी कविता

"कीया खास नहीं जिंदगी में, कुछ के लफ्जो पे मुस्कान दी, कुछ के लफ्जो की मुस्कान ली, किसी के दिल में बसा हूं, किसी के बद्दुआ में याद आता हूं, चल तो रही है सांस , जब तक ये बंद ना हो, अपने परिवार को खुश रखूंगा ।। हर चलते इंसान को खुश नहीं कर सकता, हर खुश इंसान को दुःखी नहीं कर सकता, बिस्तर भले मेरा हो साधारण सा, पर सुकून कि नींद आती है, दौलत से घर, बिस्तर , खरीद लोगे, पर नींद और परिवार नहीं खरीद पाओगे ।। -आकर गुप्ते"

 कीया  खास नहीं जिंदगी में,
कुछ के लफ्जो पे मुस्कान दी,
कुछ के लफ्जो की मुस्कान ली,

किसी के दिल में बसा हूं,
किसी के  बद्दुआ में याद आता हूं,

चल तो रही है सांस ,
जब तक ये बंद ना हो,
अपने परिवार को खुश रखूंगा ।।

हर चलते इंसान को खुश नहीं कर सकता,
हर खुश इंसान को   दुःखी  नहीं कर सकता,
बिस्तर भले मेरा हो साधारण सा,
पर सुकून कि नींद आती है,
 दौलत   से घर, बिस्तर , खरीद लोगे,
पर नींद और परिवार नहीं खरीद पाओगे ।।

-आकर गुप्ते

कीया खास नहीं जिंदगी में, कुछ के लफ्जो पे मुस्कान दी, कुछ के लफ्जो की मुस्कान ली, किसी के दिल में बसा हूं, किसी के बद्दुआ में याद आता हूं, चल तो रही है सांस , जब तक ये बंद ना हो, अपने परिवार को खुश रखूंगा ।। हर चलते इंसान को खुश नहीं कर सकता, हर खुश इंसान को दुःखी नहीं कर सकता, बिस्तर भले मेरा हो साधारण सा, पर सुकून कि नींद आती है, दौलत से घर, बिस्तर , खरीद लोगे, पर नींद और परिवार नहीं खरीद पाओगे ।। -आकर गुप्ते


#Hindi
#Though
#hindiwrite
#writerhindi
#Feeling

People who shared love close

More like this

Trending Topic