मेरी ज़िद और मेरे अरमान बड़े हैं
कदमों की चाहत में आसमान बड़े हैं।
महक है मेरे खयालों में ऊंचाइयों की
जिस्म छोटा सही दिल के बागान बड़े हैं
किस्मत की लकीरें मैं नहीं पढ़ सकता
मेरी बुलंदियों के तो छपने पैगाम बड़े हैं
उदासियों की गिरफ्त में ना ज़हन मेरा
मेरी सोच की सोचकर कई परेशान बड़े हैं।
कैसे हासिल की है मैंने ये लय हुनर की
बैठे बैठे ही बड़े बड़े लोग अब हैरान बड़े हैं
तू अलग ही हवा का परिंदा लगे है सोहम
यहाँ तो झूठ को सच लिखते बेईमान बड़े हैं
©Lokesh Soham
#Argentina