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Nifty chhora from Ghaziabad (GPG) LOKESH SOHAM
Lokesh Soham
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मेरी ज़िद और मेरे अरमान बड़े हैं कदमों की चाहत में आसमान बड़े हैं। महक है मेरे खयालों में ऊंचाइयों की जिस्म छोटा सही दिल के बागान बड़े हैं किस्मत की लकीरें मैं नहीं पढ़ सकता मेरी बुलंदियों के तो छपने पैगाम बड़े हैं उदासियों की गिरफ्त में ना ज़हन मेरा मेरी सोच की सोचकर कई परेशान बड़े हैं। कैसे हासिल की है मैंने ये लय हुनर की बैठे बैठे ही बड़े बड़े लोग अब हैरान बड़े हैं तू अलग ही हवा का परिंदा लगे है सोहम यहाँ तो झूठ को सच लिखते बेईमान बड़े हैं ©Lokesh Soham
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इक अधूरा सफ़र इक अधूरे से हम इक अधूरी कहानी इक अधूरी कलम अधूरा सा ही तेरा मेरा सफ़र बड़ी दूर तुम हैं बड़ी दूर हम ©Lokesh Soham
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा हँसती आँखों में झाँक कर देखो कोई आँसू कहीं छुपा होगा देखकर तुमको सोचता हूँ मैं क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा 🤔🤔🤔....... ©Lokesh Soham
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Wednesday, 24 August | 11:21 pm
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चहचहाती चंद चिड़ियों का बसेरा था पेड़ पर मेरे घर इक पेड़ था और एक घर था पेड़ पर (विश्व पर्यावरण दिवस ) ©Lokesh Soham
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