मौन" सबसे बड़ा हथियार चुप रहने की तलवार मिटाता दे | हिंदी कविता

""मौन" सबसे बड़ा हथियार चुप रहने की तलवार मिटाता देता है,विकार यह मौन रूपी,व्यवहार मूर्ख ही आ रहे,नजर है तब चुप रहना बेहतर है जब फंसे हो,मकड़जाल मौन रहो,निकलेगी राह चहुँओर से हो रही हो,हार तब मौन ही करे,चमत्कार सूखे में ला देता है,बहार मौन सावन की है,फुंहार परिश्रम करो,मौन रहकर होगा,हर ख्वाब साकार जो मौन को करे,दरकिनार उनके मान का मिटे,आधार मौन ही है,जीवन का,सार मौन मिटाये,घट अंधकार जब फंसे हो,बीच मंझधार थाम लो,मौन रूपी तलवार जिसने थामी,मौन तलवार उसने पाया साहिल,हरबार दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी""

 "मौन"
सबसे बड़ा हथियार
चुप रहने की तलवार

मिटाता देता है,विकार
यह मौन रूपी,व्यवहार

मूर्ख ही आ रहे,नजर है
तब चुप रहना बेहतर है

जब फंसे हो,मकड़जाल
मौन रहो,निकलेगी राह

चहुँओर से हो रही हो,हार
तब मौन ही करे,चमत्कार

सूखे में ला देता है,बहार
मौन सावन की है,फुंहार

परिश्रम करो,मौन रहकर
होगा,हर ख्वाब साकार

जो मौन को करे,दरकिनार
उनके मान का मिटे,आधार

मौन ही है,जीवन का,सार
मौन मिटाये,घट अंधकार

जब फंसे हो,बीच मंझधार
थाम लो,मौन रूपी तलवार

जिसने थामी,मौन तलवार
उसने पाया साहिल,हरबार
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

"मौन" सबसे बड़ा हथियार चुप रहने की तलवार मिटाता देता है,विकार यह मौन रूपी,व्यवहार मूर्ख ही आ रहे,नजर है तब चुप रहना बेहतर है जब फंसे हो,मकड़जाल मौन रहो,निकलेगी राह चहुँओर से हो रही हो,हार तब मौन ही करे,चमत्कार सूखे में ला देता है,बहार मौन सावन की है,फुंहार परिश्रम करो,मौन रहकर होगा,हर ख्वाब साकार जो मौन को करे,दरकिनार उनके मान का मिटे,आधार मौन ही है,जीवन का,सार मौन मिटाये,घट अंधकार जब फंसे हो,बीच मंझधार थाम लो,मौन रूपी तलवार जिसने थामी,मौन तलवार उसने पाया साहिल,हरबार दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#मौन

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