Vijay Kumar उपनाम-

Vijay Kumar उपनाम-"साखी" Lives in Bigod, Rajasthan, India

govt. सीनियर टीचर,मैथ्स

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White "मजबूत इरादे" चट्टाने भी जाती है,उनके आगे तो टूट जिनके दुनिया में इरादे होते है,मजबूत जिनमें शक्ति शूल को बनाने की फूल उन्हें हार कभी हो न सकती है,कबूल जिनके इरादे सच मे होते है,कड़क वो लोग फिर झुका सकते है,फ़लक जिनके इरादों में हैरोशनी की खुश्बू वो अमावस में बनते है,पूनम जुगनू यदि तेरे इरादों में कुछ करने की जिद फिर तेरे लिये कुछ भी नही नामुमकिन उन्हें अवश्य ही मिलती है,सफलता जिनका इरादा होता है,बहुत पक्का उन्हें मुबारक हो,अपनी सुखद विजय जो अपने पक्के इरादों से बने है,निर्भय जो लोग दीपक बनकर जलते रहे,नित फिर उन्हें कैसे न मिलेगी,अपनी मंजिल उनके पास चलकर आती,खुद मंजिल जिन्हें स्वप्न में भी हो,कर्म करने की जिद दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #मजबूत  White "मजबूत इरादे"
चट्टाने भी जाती है,उनके आगे तो टूट
जिनके दुनिया में इरादे होते है,मजबूत

जिनमें शक्ति शूल को बनाने की फूल
उन्हें हार कभी हो न सकती है,कबूल

जिनके इरादे सच मे होते है,कड़क
वो लोग फिर झुका सकते है,फ़लक

जिनके इरादों में हैरोशनी की खुश्बू
वो अमावस में बनते है,पूनम जुगनू

यदि तेरे इरादों में कुछ करने की जिद
फिर तेरे लिये कुछ भी नही नामुमकिन

उन्हें अवश्य ही मिलती है,सफलता
जिनका इरादा होता है,बहुत पक्का

उन्हें मुबारक हो,अपनी सुखद विजय
जो अपने पक्के इरादों से बने है,निर्भय

जो लोग दीपक बनकर जलते रहे,नित
फिर उन्हें कैसे न मिलेगी,अपनी मंजिल

उनके पास चलकर आती,खुद मंजिल
जिन्हें स्वप्न में भी हो,कर्म करने की जिद
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#मजबूत इरादे

13 Love

White "समय पकड़ लो" इस समय को तो तुम पकड़ लो। इन गंजे जैसे बालों को जकड़ लो।। सफ़लता यूंही नही मिल जाती है। सफलता के लिए,बस कर्म कर लो।। जिसने इस समय को पकड़ लिया। उसने खुद को चंदन पर रगड़ लिया।। वक्त पर तुम अपनी कमर कस लो। वक्त पर मंजिल हेतु,दो पग चल लो।। यदि समय के अनुसार नही चलोगे। फिर इस जिंदगी में तुम क्या करोगे।। इस समय की जरा कीमत समझ लो। वृद्धावस्था पूर्व,सही वक्त पर सुधर लो।। जिसने इस समय को बर्बाद किया है। उसने बैठे हुई डाली को काट लिया है।। वक्त की शक्ति का,तुम सिमरन कर लो। मृत्यु बाद क्या,पूर्व जिंदगी जन्नत कर लो।। दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #flowers  White "समय पकड़ लो"
इस समय को तो तुम पकड़ लो।
इन गंजे जैसे बालों को जकड़ लो।।
सफ़लता यूंही नही मिल जाती है।
सफलता के लिए,बस कर्म कर लो।।

जिसने इस समय को पकड़ लिया।
उसने खुद को चंदन पर रगड़ लिया।।
वक्त पर तुम अपनी कमर कस लो।
वक्त पर मंजिल हेतु,दो पग चल लो।।

यदि समय के अनुसार नही चलोगे।
फिर इस जिंदगी में तुम क्या करोगे।।
इस समय की जरा कीमत समझ लो।
वृद्धावस्था पूर्व,सही वक्त पर सुधर लो।।

जिसने इस समय को बर्बाद किया है।
उसने बैठे हुई डाली को काट लिया है।।
वक्त की शक्ति का,तुम सिमरन कर लो।
मृत्यु बाद क्या,पूर्व जिंदगी जन्नत कर लो।।
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#flowers समय

14 Love

"मौन" सबसे बड़ा हथियार चुप रहने की तलवार मिटाता देता है,विकार यह मौन रूपी,व्यवहार मूर्ख ही आ रहे,नजर है तब चुप रहना बेहतर है जब फंसे हो,मकड़जाल मौन रहो,निकलेगी राह चहुँओर से हो रही हो,हार तब मौन ही करे,चमत्कार सूखे में ला देता है,बहार मौन सावन की है,फुंहार परिश्रम करो,मौन रहकर होगा,हर ख्वाब साकार जो मौन को करे,दरकिनार उनके मान का मिटे,आधार मौन ही है,जीवन का,सार मौन मिटाये,घट अंधकार जब फंसे हो,बीच मंझधार थाम लो,मौन रूपी तलवार जिसने थामी,मौन तलवार उसने पाया साहिल,हरबार दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #मौन  "मौन"
सबसे बड़ा हथियार
चुप रहने की तलवार

मिटाता देता है,विकार
यह मौन रूपी,व्यवहार

मूर्ख ही आ रहे,नजर है
तब चुप रहना बेहतर है

जब फंसे हो,मकड़जाल
मौन रहो,निकलेगी राह

चहुँओर से हो रही हो,हार
तब मौन ही करे,चमत्कार

सूखे में ला देता है,बहार
मौन सावन की है,फुंहार

परिश्रम करो,मौन रहकर
होगा,हर ख्वाब साकार

जो मौन को करे,दरकिनार
उनके मान का मिटे,आधार

मौन ही है,जीवन का,सार
मौन मिटाये,घट अंधकार

जब फंसे हो,बीच मंझधार
थाम लो,मौन रूपी तलवार

जिसने थामी,मौन तलवार
उसने पाया साहिल,हरबार
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#मौन

14 Love

#SaferMotherHoodDay "मां के चरण" मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#SaferMotherHoodDay #कविता  #SaferMotherHoodDay "मां के चरण"
मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण
उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन
उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन
यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन
मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण
मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन
मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन
ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन
मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन
आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन
मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन
मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन
मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन
मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण
उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन
पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन
जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन
स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन
निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन
मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण
जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन
आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प
कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#SaferMotherHoodDay "मां के चरण" मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#SaferMotherHoodDay #कविता  #SaferMotherHoodDay "मां के चरण"
मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण
उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन
उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन
यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन
मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण
मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन
मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन
ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन
मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन
आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन
मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन
मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन
मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन
मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण
उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन
पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन
जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन
स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन
निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन
मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण
जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन
आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प
कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

White "मां के जैसा कोई न दूजा" मां के जैसा हो न सकता कोई दूजा मां ही हो सकती,ईश्वर का रूप दूजा मां शब्द मे ही समाया अस्तित्व समूचा ईश्वर ने मां को ही चुना,सृजनकर्ता दूजा मातायें तो इतनी ममतामयी होती है उनके आगे दरिया गहराई कम होती है भले ही वो खुद भूखी सोती है पर संतानों को खिलाती रोटी है संतानों को खुश देखकर खुश होती है माँ इस अंधेरे जीवन की ऐसी ज्योति है वो खुद जलकर,हमको रोशनी देती है मां तो ईश्वर से भी ज्यादा दयालू होती है उसे ओर कहीं जाने की जरूरत नही जिसने भी अपनी मां की रोज पूजा ईश्वर को जब अपना रूप देने का सूझा मां शब्द ही उनके जेहन में होगा,गूंजा मदर्स डे पर स्टेटस लगाने से अच्छा घर मे जाकर सच मे पूंछो,मां की इच्छा यदि वो प्रसन्न,फिर शूल में खिलेगा,सुमन मां को बुढापे में,तेरा साथ चाहिए बच्चा जिसने माँ को भोजन,पानी को पूंछा फिर उसकी बदकिस्मती का ताला,टूटा मां के जैसा हो नही सकता कोई दूजा मां की सेवा करो,पाओगे मेवा अनूठा दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #mothers_day  White "मां के जैसा कोई न दूजा"
मां के जैसा हो न सकता कोई दूजा
मां ही हो सकती,ईश्वर का रूप दूजा
मां शब्द मे ही समाया अस्तित्व समूचा
ईश्वर ने मां को ही चुना,सृजनकर्ता दूजा
मातायें तो इतनी ममतामयी होती है
उनके आगे दरिया गहराई कम होती है
भले ही वो खुद भूखी सोती है
पर संतानों को खिलाती रोटी है
संतानों को खुश देखकर खुश होती है
माँ इस अंधेरे जीवन की ऐसी ज्योति है
वो खुद जलकर,हमको रोशनी देती है
मां तो ईश्वर से भी ज्यादा दयालू होती है
उसे ओर कहीं जाने की जरूरत नही
जिसने भी अपनी मां की रोज पूजा
ईश्वर को जब अपना रूप देने का सूझा
मां शब्द ही उनके जेहन में होगा,गूंजा
मदर्स डे पर स्टेटस लगाने से अच्छा 
घर मे जाकर सच मे पूंछो,मां की इच्छा 
यदि वो प्रसन्न,फिर शूल में खिलेगा,सुमन
मां को बुढापे में,तेरा साथ चाहिए बच्चा
जिसने माँ को भोजन,पानी को पूंछा
फिर उसकी बदकिस्मती का ताला,टूटा
मां के जैसा हो नही सकता कोई दूजा
मां की सेवा करो,पाओगे मेवा अनूठा
दिल से विजय 
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#mothers_day

16 Love

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