"मै - - आखिर क्या गुनाह था मेरा
जिंदगी तन्हा गुजर रही है
तुम चुप होके बस देख रहे हो
तुमपर कोई असर नहीं है l
भगवान ----- बेटे कविता लिखना छोड़ के कविता को देखना शुरु करो... शायद पट जाए...."
मै - - आखिर क्या गुनाह था मेरा
जिंदगी तन्हा गुजर रही है
तुम चुप होके बस देख रहे हो
तुमपर कोई असर नहीं है l
भगवान ----- बेटे कविता लिखना छोड़ के कविता को देखना शुरु करो... शायद पट जाए....