White आपस में हम बँटे हुए हैं, एक-दूजे से कटे ह | हिंदी शायरी

"White आपस में हम बँटे हुए हैं, एक-दूजे से कटे हुए हैं, तोता जैसे फँसे जाल में, किंतु मंत्र सब रटे हुए हैं, ख़ुशियों से है दूर का नाता, गम से कितने सटे हुए हैं, गैरों संग करे गल बहियाँ, रिश्ते नाते छँटे हुए हैं, लुटा रहे श्वास की पूँजी, पर मैदान में डटे हुए हैं, बाहर से दिखते चमकीले, अंदर कितने फटे हुए हैं, हृदय प्यास से तड़पे गुंजन, मनमर्जी स्वर पटे हुए हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra"

 White आपस में हम बँटे हुए हैं, 
एक-दूजे  से  कटे हुए हैं,

तोता जैसे  फँसे जाल में, 
किंतु  मंत्र सब रटे हुए हैं,

ख़ुशियों से है दूर का नाता,
गम से  कितने सटे हुए हैं,

गैरों संग करे गल बहियाँ, 
रिश्ते  नाते   छँटे   हुए हैं,

लुटा रहे  श्वास की  पूँजी,
पर  मैदान  में  डटे हुए हैं,

बाहर से दिखते चमकीले, 
अंदर कितने   फटे हुए हैं,

हृदय प्यास से तड़पे गुंजन,
मनमर्जी स्वर  पटे  हुए  हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra

White आपस में हम बँटे हुए हैं, एक-दूजे से कटे हुए हैं, तोता जैसे फँसे जाल में, किंतु मंत्र सब रटे हुए हैं, ख़ुशियों से है दूर का नाता, गम से कितने सटे हुए हैं, गैरों संग करे गल बहियाँ, रिश्ते नाते छँटे हुए हैं, लुटा रहे श्वास की पूँजी, पर मैदान में डटे हुए हैं, बाहर से दिखते चमकीले, अंदर कितने फटे हुए हैं, हृदय प्यास से तड़पे गुंजन, मनमर्जी स्वर पटे हुए हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra

#एक-दूजे से कटे हुए हैं#

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