निकल कर मेरी आंखों से मेरा ख्वाब जाना चाहता है । म | हिंदी शायरी

"निकल कर मेरी आंखों से मेरा ख्वाब जाना चाहता है । मेरे करीब आकर वो अब , मुझसे दूर जाना चाहता है । चाहतों का असर दिखने लगा , कि दूरियां बढ़ने लगी , वक्त अब मुझे अकेला , करना चाहता है । विछड़ कर क्या बचेगा पास मेरे यह बताने से पहले , कोई बेचैन - ऐ - शब से मुझे जोड़ना चाहता है । ऐ खुदा ! अब तू ही तरकीब कर मुझ पर , ऐ नादान दिल पहले सा फिर से होना चाहता है । ©Abhishek Shukla"

 निकल कर मेरी आंखों से मेरा ख्वाब जाना चाहता है ।
मेरे करीब आकर वो अब , मुझसे दूर जाना चाहता है ।

चाहतों का असर दिखने लगा , कि  दूरियां बढ़ने लगी ,
वक्त     अब     मुझे    अकेला  ,   करना   चाहता   है ।

विछड़ कर  क्या  बचेगा पास मेरे यह बताने से पहले ,
कोई   बेचैन - ऐ - शब   से   मुझे  जोड़ना  चाहता  है ।

ऐ   खुदा  !   अब    तू   ही   तरकीब   कर   मुझ   पर ,
ऐ  नादान   दिल  पहले  सा  फिर  से  होना  चाहता है ।

©Abhishek Shukla

निकल कर मेरी आंखों से मेरा ख्वाब जाना चाहता है । मेरे करीब आकर वो अब , मुझसे दूर जाना चाहता है । चाहतों का असर दिखने लगा , कि दूरियां बढ़ने लगी , वक्त अब मुझे अकेला , करना चाहता है । विछड़ कर क्या बचेगा पास मेरे यह बताने से पहले , कोई बेचैन - ऐ - शब से मुझे जोड़ना चाहता है । ऐ खुदा ! अब तू ही तरकीब कर मुझ पर , ऐ नादान दिल पहले सा फिर से होना चाहता है । ©Abhishek Shukla

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#sayri
#Sab - andhera

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