शाम से सुबह हो जाती है माही! कि आंखों को नसीब-ऐ-नी | हिंदी Love

"शाम से सुबह हो जाती है माही! कि आंखों को नसीब-ऐ-नींद नहीं होती। जिसे देखकर दिन बीताता था, उसकी अब नसीब-ऐ-दीद नहीं होती। @imgpmahi"

 शाम से सुबह हो जाती है माही!
कि आंखों को नसीब-ऐ-नींद नहीं होती।
जिसे देखकर दिन बीताता था,
उसकी अब नसीब-ऐ-दीद नहीं होती।
                     @imgpmahi

शाम से सुबह हो जाती है माही! कि आंखों को नसीब-ऐ-नींद नहीं होती। जिसे देखकर दिन बीताता था, उसकी अब नसीब-ऐ-दीद नहीं होती। @imgpmahi

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