हज़ारों बादलों का दिल हुआ पानी बहुत मचला हिमालय धू
"हज़ारों बादलों का दिल हुआ पानी बहुत मचला
हिमालय धूप के आग़ोश में आकर नहीं पिघला
घुला चंदा,घुला सूरज,घुलीं सौ रूप की किरणें
मगर इस झील के पानी ने अपना रँग नहीं बदला!
शशांक शेखर त्रिपाठी"
हज़ारों बादलों का दिल हुआ पानी बहुत मचला
हिमालय धूप के आग़ोश में आकर नहीं पिघला
घुला चंदा,घुला सूरज,घुलीं सौ रूप की किरणें
मगर इस झील के पानी ने अपना रँग नहीं बदला!
शशांक शेखर त्रिपाठी