ए अजनबी ! ज़रा ठहर जा , हम पहले ही किसी के सताये ह | हिंदी Shayari

"ए अजनबी ! ज़रा ठहर जा , हम पहले ही किसी के सताये हुए है ...... लौट जा तु वापस ! मरहम नहीं मैं तेरे दिल का , ये दिल पहले ही गहरे जख्म खाये हुए है ...... मुकम्मल नहीं तेरी मोहब्बत यहाँ , जो ख्वाब तुने हमारे संग सजाये हुए है ...... और सुन ! मोहब्बत नहीं हमारे नसीब में ,इस मामले में हम किस्मत के ठुकराये हुए है ...... ©Khamosh Alfaaz ( Rinki )"

 ए अजनबी ! ज़रा ठहर जा , हम पहले ही किसी के सताये हुए है ......

लौट जा तु वापस ! मरहम नहीं मैं तेरे दिल का , ये दिल पहले ही गहरे जख्म खाये हुए है ......

मुकम्मल नहीं तेरी मोहब्बत यहाँ , जो ख्वाब तुने हमारे संग सजाये हुए है ......

और सुन ! मोहब्बत नहीं हमारे नसीब में ,इस मामले में हम किस्मत के ठुकराये हुए है ......

©Khamosh Alfaaz ( Rinki )

ए अजनबी ! ज़रा ठहर जा , हम पहले ही किसी के सताये हुए है ...... लौट जा तु वापस ! मरहम नहीं मैं तेरे दिल का , ये दिल पहले ही गहरे जख्म खाये हुए है ...... मुकम्मल नहीं तेरी मोहब्बत यहाँ , जो ख्वाब तुने हमारे संग सजाये हुए है ...... और सुन ! मोहब्बत नहीं हमारे नसीब में ,इस मामले में हम किस्मत के ठुकराये हुए है ...... ©Khamosh Alfaaz ( Rinki )

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@R Ojha @Mirza raj @Monu Kumar @SIDDHARTH SHENDE @Omi Sharma

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