White एक अरसा गुजार आये हम दोस्तों के बिना, ऐसा ल | हिंदी कविता

"White एक अरसा गुजार आये हम दोस्तों के बिना, ऐसा लगता ही नहीं की कभी था कोई दोस्त भी अपना | अब तो मशरूफ है सभी अपने-अपने मकामों में, किसे वक़्त की पलट कर देखे गुजरे ज़माने में, मशरूफियत तो देखिये उनकी, वक़्त देकर भूल गए अपने ही, वो वक़्त भी क्या बेमिसाल था, जेब में रूपया नहीं, मगर दिल मालामाल था, जो निकाल लिया करते थे वक़्त दोस्तों के वास्ते, उन्हें वक़्त नहीं अपने ही वास्ते, मैंने पलटे जो पन्ने बीती जिंदगी के, तो बेमिसाल किस्सों की बाढ़ आयी, सोचा चलो क्यों ना याद दिलाया जाये, मेरे अजीज़, मेरे दोस्तों को उनके बचपन से मिलाया जाये, वक़्त मिले तो पलट कर देख लेना, एक रोज उन सुनहरी यादों को, क्या पता बुझे चेहरों पर एक मुस्कान आ जाये | ©Sonam kuril"

 White एक अरसा गुजार आये हम दोस्तों के बिना, 
ऐसा लगता ही नहीं की कभी था कोई दोस्त भी अपना | 
अब तो मशरूफ है सभी अपने-अपने मकामों में, 
किसे वक़्त की पलट कर देखे गुजरे ज़माने में,
मशरूफियत तो देखिये उनकी, 
वक़्त देकर भूल गए अपने ही,
वो वक़्त भी क्या बेमिसाल था,
जेब में रूपया नहीं, मगर दिल मालामाल था,
जो निकाल लिया करते थे वक़्त दोस्तों के वास्ते, 
उन्हें वक़्त नहीं अपने ही वास्ते, 
मैंने पलटे जो पन्ने बीती जिंदगी के, 
तो बेमिसाल किस्सों की बाढ़ आयी, 
सोचा चलो क्यों ना याद दिलाया जाये, 
मेरे अजीज़, मेरे दोस्तों को उनके बचपन से मिलाया जाये, 
वक़्त मिले तो पलट कर देख लेना,
एक रोज उन सुनहरी यादों को, 
क्या पता बुझे चेहरों पर एक मुस्कान आ जाये |

©Sonam kuril

White एक अरसा गुजार आये हम दोस्तों के बिना, ऐसा लगता ही नहीं की कभी था कोई दोस्त भी अपना | अब तो मशरूफ है सभी अपने-अपने मकामों में, किसे वक़्त की पलट कर देखे गुजरे ज़माने में, मशरूफियत तो देखिये उनकी, वक़्त देकर भूल गए अपने ही, वो वक़्त भी क्या बेमिसाल था, जेब में रूपया नहीं, मगर दिल मालामाल था, जो निकाल लिया करते थे वक़्त दोस्तों के वास्ते, उन्हें वक़्त नहीं अपने ही वास्ते, मैंने पलटे जो पन्ने बीती जिंदगी के, तो बेमिसाल किस्सों की बाढ़ आयी, सोचा चलो क्यों ना याद दिलाया जाये, मेरे अजीज़, मेरे दोस्तों को उनके बचपन से मिलाया जाये, वक़्त मिले तो पलट कर देख लेना, एक रोज उन सुनहरी यादों को, क्या पता बुझे चेहरों पर एक मुस्कान आ जाये | ©Sonam kuril

#Friendship
एक अरसा गुजार आये हम दोस्तों के बिना,
ऐसा लगता ही नहीं की कभी था कोई दोस्त भी अपना |
अब तो मशरूफ है सभी अपने-अपने मकामों में,
किसे वक़्त की पलट कर देखे गुजरे ज़माने में,
मशरूफियत तो देखिये उनकी,
वक़्त देकर भूल गए अपने ही,
वो वक़्त भी क्या बेमिसाल था,

People who shared love close

More like this

Trending Topic